प्रदेश की सियासत में शनिवार को एक बार फिर सियासी समीकरण पूरी तरह बदलते दिख गए. जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी को जबरदस्त फायदा होता दिख रहा है. 13 जिले ऐसे रहे जहां पर निर्विरोध ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशियों का अध्यक्ष पद पर चयन हो गया. कहीं पर दूसरी पार्टियों द्वारा नामांकन ही नहीं किया तो कुछ जगहों पर नामांकन कैंसिल भी किए गए. इस वजह से 13 जगहों पर बिना किसी टक्कर के बीजेपी को सीधा फायदा मिल गया.
बीजेपी को जबरदस्त फायदा
इस लिस्ट में आगरा से मंजू भदौरिया, ग़ाज़ियाबाद से ममता त्यागी, मुरादाबाद से डॉ. शेफाली, बुलंदशहर से डॉ. अंतुल तेवतिया, ललितपुर से कैलाश निरंजन, मऊ से मनोज राय, चित्रकूट से अशोक जाटव, गौतमबुद्ध नगर से अमित चौधरी, श्रावस्ती से दद्दन मिश्र, गोरखपुर से साधना सिंह, बलरामपुर से आरती तिवारी, झांसी से पवन कुमार गौतम और गोंडा से घनश्याम मिश्र अध्यक्ष पद के लिए चुन लिए गए.
ज्यादातर जिलों में यहीं हाल रहा कि नामांकन करने के लिए दूसरी पार्टी से कोई प्रत्याशी आया ही नहीं, ऐसे में बीजेपी की जीत तो पहले ही साफ हो गई थी.
सपा का रहा खराब प्रदर्शन
हाई प्रोफाइल आगरा की बात कर लीजिए जहां पर बीजेपी ने अपनी तरफ से मंजू भदौरिया को खड़ा किया था. नामांकन के दिन सिर्फ मंजू भदौरिया ने ही अपना पर्चा दाखिल किया. इनके अलावा किसी भी राजनीतिक दल अथवा निर्दलीय प्रत्याशी ने कोई नामांकन पत्र अध्यक्ष पद के लिए दाखिल नहीं किया जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मंजू भदोरिया निर्विरोध निर्वाचित हो गईं.
वहीं बांदा जिले में भी बीजेपी के प्रत्याशी सुनील पटेल को किसी से कोई टक्कर नहीं मिली. दोनों उम्मीदवार समाजवादी पार्टी की रजनी यादव और बसपा के अरुण पटेल का पर्चा प्रशासन द्वारा खारिज कर दिया गया. ऐसे में बीजेपी के सुनील पटेल निर्विरोध निर्वाचित हो लिए. बताया गया है कि इस सिलसिले में जिला प्रशासन की तरफ से बयान भी जारी किया जाएगा.
अब समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनाव से पहले इस सेमीफाइनल में ऐसी हार की उम्मीद नहीं थी. इसी वजह से परिणाम देख पार्टी ने तुरंत एक्शन लेना शुरू कर दिया. उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी ने अपने 11 जिलाध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया है.