मांगें न माने जाने पर 3 हजार जूनियर डॉक्टरों ने भेजा इस्तीफा, अस्पतालों में संकट

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जबलपुर हाईकोर्ट के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने और 5 मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों को बर्खास्त करने के बाद जूनियर डॉक्टर आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं. मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की सचिव डॉक्टर अंकिता त्रिपाठी ने बताया कि ‘मध्य प्रदेश के करीब 3 हज़ार जूनियर डॉक्टरों ने अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है. सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी बल्कि सिर्फ भरोसा दिया है इसलिए हमने हड़ताल खत्म नहीं की थी.

उन्होंने कहा कि हमारी हड़ताल खत्म करवाने के लिए घर पर पुलिस भेजी जा रही है. सरकार बोल रही है कि जूनियर डॉक्टर ब्लैकमेल कर रहे हैं. जबकि ऐसा नहीं है. अगर ब्लैकमेल करना होता तो तब करते जब मरीज़ ज्यादा थे, अब तो मरीज़ भी कम हैं तो ब्लैकमेल क्यों करेंगे. वहीं जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल और उनके सामूहिक इस्तीफे पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि उनकी मांगे माने जाने के बाद भी उनका यह रवैया उनकी हठधर्मिता दिखाता है.

जूनियर डॉक्टर्स की मांगें

  • स्टाइपेंड में 24% बढ़ोत्तरी करके 55000 से बढ़ाकर 68200 एवं 57000 से बढ़ाकर 70680 एवं 59000 से बढ़ाकर 73160 कर दी जाए.
  • हर साल वार्षिक 6% की बढ़ोत्तरी भी हमारे बेसिक स्टाइपेंड पर दी जाए.
  • पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बॉन्ड को कोविड की ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए.
  • कोविड ड्यूटी में काम कार्यरत हर जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिलेग जो आगे उसको सरकारी नौकरी में फायदा प्रदान करेगा.
  • समस्त जूनियर डॉक्टर जो कि कोविड में काम कर रहे हैं उनको और उनके परिवार के लिए अस्पताल में अलग से एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए एवं उनके उपचार के लिए प्राथमिकता दी जाए उस समय मौजूद सारे उचित उपचार उनके लिए मुहैया फ्री ऑफ कॉस्ट कराया जाए.
  • जितने जूनियर डॉक्टर कोविड ड्यूटी में कार्यरत हैं उनका अधिक कार्यभार देखते हुए उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए.?

दूसरी लहर में 594 डॉक्टरों की कोरोना से मौत

देश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान 594 डॉक्टरों की इस संक्रमण से मौत हो गई. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक इनमें सबसे अधिक 107 डॉक्टरों ने दिल्ली में जान गंवाई. आईएमए के अनुसार इस महामारी की पहली लहर के दौरान 748 डॉक्टरों की जान चली गई थी.

आईएमए की कोविड-19 रजिस्ट्री के आंकड़े के अनुसार दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में 107, बिहार में 96, उत्तर प्रदेश में 67, राजस्थान में 43, झारखंड में 39 और आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में 32 – 32 डॉक्टरों ने इस वायरस के चलते अपनी जान गंवाई.

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