हज इस्लाम के 5 फर्ज़ में से एक है बाकी के चार फर्ज़ है कलमा, रोजा नमाज़ और ज़कात

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सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए क़रीब 10 लाख मुसलमानों के जुटने की उम्मीद है.

हर साल होने वाला ये धार्मिक आयोजन 7 जुलाई से 11 जुलाई तक है. दो साल बाद इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालु सऊदी अरब के मक्का में जुट रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से हज पर कई तरह की पाबंदी लगा दी गई थी. हालांकि, इस साल की संख्या भी कोरोना से पहले की संख्या के मुक़ाबले काफी कम है.

हज क्या है?

इस्लाम के 5 फर्ज़ में से एक फर्ज़ हज है. बाकी के चार फर्ज़ हैं- कलमा, रोज़ा, नमाज़ और ज़कात.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान को अपनी ज़िंदगी में कम से कम एक बार इस फर्ज़ को निभाने का दायित्व है. इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक़, पैग़ंबर इब्राहिम को अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने के लिए कहा था.

इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा-सा घनाकार इमारत बनाई थी. इसी को क़ाबा कहा जाता है. बाद के वक्त में धीरे-धीरे लोगों ने यहां अलग-अलग ईश्वरों की पूजा शुरू कर दी.

मुसलमानों का ऐसा मानना है कि इस्लाम के आख़िरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद (570-632 ई.) को अल्लाह ने कहा कि वो क़ाबा को पहले जैसी स्थिति में लाएं और वहां केवल अल्लाह की इबादत होने दें.

साल 628 में पैग़ंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की थी. ये इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैग़ंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया. इसी को हज कहा जाता है.

हर साल दुनियाभर के मुस्लिम सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए पहुंचते हैं. हज में पांच दिन लगते हैं और ये ईद उल अज़हा या बकरीद के साथ पूरी होती है.(भाषा इनपुट से)

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