देश में खुदरा महंगाई दर 16 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. सरकार द्वारा मंगलवार को जारी डेटा के मुताबिक मार्च में खुदरा महंगाई दर फरवरी के मुकाबले 14.49 फीसदी बढ़कर 6.95% पर पहुंच गई. फरवरी में खुदरा महंगाई दर 6.07% थी. वहीं, पिछले साल मार्च में खुदरा महंगाई की दर 4.3% पर थी.
आरबीआई के टार्गेट रेंज से ज्यादा महंगाई दर
मार्च माह में लगातार तीसरे महीने खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टार्गेट रेंज से ज्यादा रही. आरबीआई ने सरकार को खुदरा महंगाई दर 2-6 फीसदी के बीच सीमित रखने को कहा है. मार्च महीने की महंगाई दर का आंकड़ा काफी अहम है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरों की समीक्षा के समय Retail Inflation के आंकड़े को ध्यान में रखता है.
खाने-पीने के सामान हुए महंगे
मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर में यह तेजी खाने-पीने के सामानों की कीमतों में उछाल की वजह से आई है.
मार्च महीने में खाने-पीने के सामान के दाम में 7.68 फीसदी का उछाल देखने को मिला. फरवरी में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 5.85 फीसदी पर रही थी.
एनालिस्ट्स की उम्मीद से ज्यादा महंगाई
ICRA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर (Aditi Nayar) ने कहा कि खुदरा महंगाई में एनालिस्ट्स की उम्मीद से ज्यादा तेजी देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि मीट और मछली जैसे खाने-पीने के सामान के कुछ कॉम्पोनेंट्स और पेय पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से इसमें जोरदार उछाल देखने को मिला है.
उन्होंने कहा कि अगर अप्रैल और मई में महंगाई दर में कमी देखने को नहीं मिलती है तो जून से ब्याज दर में इजाफा तय है. जून में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक होनी है.
अप्रैल के आंकड़े पर रहेगी नजर
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine) की वजह से क्रूड ऑयल और वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमत में तेजी का पूरा असर अप्रैल से पहले के डेटा में नजर नहीं आएगा. इसकी वजह ये है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 22 मार्च से पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी की शुरुआत की थी.
इस युद्ध की वजह से दुनियाभर में अनाज के प्रोडक्शन, खाद्य तेल की सप्लाई और फर्टिलाइजर एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है. इससे आने वाले महीने में भी फूड इंफ्लेशन में तेजी की संभावना है.