इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव ड्यूूटी करने वाले अध्यापकों और सरकारी कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत मामले मे मुआवजे के ऐलान को विभेदकारी मानते हुए अध्यापक राहुल गैंगले की जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मागा है।
याची का कहना हैकि सरकार पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने के बाद जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ 30 लाख रुपये मुआवजा दे रही है। कोरोना वॉरियर्स के लिए मुआवजे की राशि 50 लाख रुपये है। यह नीति भेदभाव पूर्ण है।
चुनाव ड्यूटी से जान गंवाने वालों को भी कोरोना वॉयरियर मानते हुए पचास लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। हाईकोर्ट ने सरकार को ऐसे अध्यापको को एक करोड मुआवजा देने पर विचार करने का आदेश भी दिया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजीत कुमार खंडपीठ ने दिया है।
अर्जी में कहा गया है कि संक्रमित कर्मचारियों को कोई मेडिकल सुविधा नहीं दी गई। उनकी मौत हो गयी। इसलिए पीडित परिवारों को उचित मुआवजा पाने का हक है।