एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हैरिस ने कहा कि भारत की मदद अमेरिका के लिए लिए बहुत मायने रखती है. उन्होंने भारत को भेजी जा रही मदद के बारे बताते हुए उन लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं जिन्होंने महामारी के दौरान अपनों को खोया है.
भारतीय मूल के लोगों के लिए आयोजित किए गए कोविड-19 से जुड़े एक समारोह में हैरिस ने एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा, “जैसा कि आप में से बहुत से लोग जानते हैं, मेरे परिवार की कई पीढ़ियां भारत से आती हैं. मेरी माँ का जन्म और पालन-पोषण भारत में हुआ. मेरे परिवार के कई सदस्य आज भी भारत में रहते हैं. भारत की मदद अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है.
कमला हैरिस ने कहा, “भारत में जैसे ही स्थिति ख़राब होनी शुरू हुई, अमेरिकी प्रशासन ने क़दम उठाए. “
हालांकि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के आने के बाद बाइडन सरकार के रवैये की काफ़ी आलोचना की गई थी. उन पर आरोप लगे थे कि दूसरे देश भारत की मदद के लिए तुरंत आगे आए, लेकिन अमेरिका कई दिनों तक चुप्पी साधे रहा.
हालांकि शुरुआत के बाद से अमेरिका भारत को अबत क क़रीब 100 मिलियन डॉलर की मदद कर चुका है.
हैरिस ने कहा, “26 अप्रैल को राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री (मोदी) से मदद करने की बात कही. 30 अप्रैल को अमेरिकी सेना और लोग ज़मीन पर मदद पहुंचा रहे थे.”
उन्होंने कहा कि एन-95 मास्क, ऑक्सीजन सिलिंडर जैसी ज़रूरी चीज़ें भेजी जा चुकीं हैं और भेजी जा रही हैं.
यूएस एड के मुताबिक़, भारत को भेजी गई इमर्जेंसी सप्लाई में रेमडेसिविर की 1,25,000 शीशियां, 1500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और दस लाख रैपिड टेस्टिंग किट शामिल हैं.
इसके अलावा अब तक 6 हवाई जहाजों से पहुँचाई गई मदद में क़रीब 550 मोबाइल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी हैं, तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन की मदद से काम करते हैं. इनका इस्तेमाल एक साथ कई मरीज़ों पर किया जा सकता है और ये क़रीब पाँच साल तक चलते हैं.
हैरिस ने कहा, “पेटेंट में छूट देने को लेकर हमारा पूरा समर्थन है ताकि भारत और दूसरे देशों के लोगों का जल्द टीकाकरण किया जा सके.”
इससे पहले बाइडन प्रशासन ने कहा था कि वो अस्थायी रूप से वैक्सीन से जुड़े पेटेंट में छूट देने का समर्थन करेगा.
भारत ने इस पहल का स्वागत किया है.
हैरिस ने कहा, “महामारी की शुरुआत में जब अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी थी, तब भारत ने हमारी मदद की थी, हम भारत की मदद से लिए प्रतिबद्ध हैं. हम ये भारत के दोस्त के नाते, एशियाई क्वाड और वैश्विक समुदाय के सदस्य के तौर पर कर रहे हैं.
(भाषा इनपुट बीबीसी हिंदी)