प्रयागराज के माघ मेले में शनिवार को मौनी अमावस्या का स्नान पर्व है.ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर संगम में स्नान करने से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.इसके साथ ही लोग मोक्ष की कामना के साथ भी इस दिन संगम में स्नान करते हैं.यही वजह है कि हर साल सांसारिक सुखों की प्राप्ति के साथ ही मोक्ष पाने की कामना लेकर लाखों श्रद्धालू संगम में स्नान करने आते हैं.
शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या की वजह से इस दिन गंगा व संगम में स्नान के बाद दान पुण्य करने के साथ ही पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करना और तिल व तेल का दान करना भी लाभप्रद माना जाता है.
रामायण सहित दूसरे ग्रंथों में मिलता है माघ मास के महत्व का वर्णन
शास्त्रों और पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि माघ महीने में सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब प्रयागराज में सारे तीर्थों का वास होता है.सारे देवी देवता मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में वास करते हैं.यही कारण है कि माघ मेले में सबसे ज्यादा भीड़ मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर उमड़ती है.मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करना बेहद फलदायी माना जाता है.
” माघ मकर गति रवि जब होई तीरथपति आवहि सबकोइ देव दनुज किन्नर नर श्रेणी सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी “
शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाएगा स्नान
ग्रह नक्षत्रम ज्योतिष शोध संस्थान की ज्योतिषी गुंजन वार्ष्णेय के मुताबिक शनिवार की भोर में 5 बजकर 15 मिनट से मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त लग जायेगा.जो देर रात्रि 2 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रमा का प्रवेश मकर राशि में होगा.जिसके बाद स्नान का महत्व और अधिक पुण्य व फलदायी बन जाएगा.शनिवार की मौनी अमावस्या के दिन सूर्य के साथ चंद्रमा व अन्य ग्रहों का दिव्य संयोग बन रहा है. जिस वजह से ब्रह्म मुहूर्त से ही मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ संगम स्नान करने पहुँच जाएगी.मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शनिवार के दिन अमावस्या होने की वजह से संगम में स्नान पूजा के बाद दान और पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा के अलावा तिल व तेल का दान कर शनिदेव की कृपा भी मिल सकती है.
मौन रहकर संगम स्नान करने से मनोकामना पूरी होने की है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर संगम में स्नान करने से भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही उनके आत्मबल व ऊर्जा शक्ति में वृद्धि होती है.इसके अलावा मृत्यु के बाद उन्हें जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.घर परिवार में सुख शांति के साथ ही जन्म मरण के बंधन से मुक्ति पाने की कामना के साथ श्रद्धालू दूर दूर से मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने के लिए आते हैं.
शनि अमावस्या है विशेष फलदायी
ज्योतिषी गुंजन वार्ष्णेय के अनुसार शनिवार के दिन पड़ने वाली हर अमावस्या को शनि अमावस्या कहा जाता है.उनका कहना है कि मौनी अमावस्या शनिवार के दिन होने की वजह से उसका महत्व और अधिक बढ़ गया है.शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या के दिन गंगा संगम में स्नान के बाद पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से शनि के प्रकोप को कम कर उन्हें प्रसन्न किया किया जा सकता है.इसके साथ ही इस दिन गंगा स्नान और तेल व तिल का दान करने से शनि के बुरे प्रभाव से भी रक्षा होती है.यही नहीं उन्होंने बताया कि शनि अमावस्या के दिन सरसों के तेल का सेवन नहीं करना चाहिए.तेल से बनी हुई वस्तु को खाने पीने से परहेज करना चाहिए.इसके साथ ही तेल व तिल का दान करना लाभकारी साबित होता है.इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि अमावस्या के दिन चंद्रमा दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर मकर राशि मे प्रवेश करेंगे.जिसके बाद स्नान योग और भी अधिक फलदायी हो जाएगा. इतना ही नहीं उनका यह भी कहना है कि कुंभ राशि में शनि के होने की वजह से इस वक्त त्रिवेणी संगम में स्नान करने का फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा क्योंकि ऐसा संयोग 30 सालों के बाद बन रहा है.