चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का एक और डेटा जारी, EC की वेबसाइट पर अपलोड.

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चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का एक और डेटा जारी, EC की वेबसाइट पर अपलोड.

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड (Electoral bond) पर राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा को रविवार को जारी किया. यह वही डेटा है जिसे चुनाव आयोग की तरफ से सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को दिया गया था.  माना जा रहा है कि ये विवरण 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि के हैं. इस तिथि के बाद के चुनावी बॉन्ड विवरण पिछले सप्ताह चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए थे.  चुनाव आयोग ने आज एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने डेटा  सीलबंद लिफाफे में वापस कर दिया है. जिसके बाद इसे आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद डेटा जारी किया है.

गुरुवार को जारी किया गया था पहला डेटा
SBI और चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने अदालत में सभी दस्तावेज पेश कर दिए थे. चुनाव आयोग  ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से मिला पहला डेटा गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था. चुनाव आयोग की वेबसाइट में 763 पेजों की दो लिस्ट डाली गई थी. पहली लिस्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल और दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों को मिले बॉन्ड का ब्यौरा था. चुनाव आयोग की वेबसाइट में अपलोड की गई सारी जानकारी 3 मूल्यवर्ग के बॉन्ड की खरीद से जुड़ी हुई थी. 

SBI ने मंगलवार शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया था. इसके बाद चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को इसे सार्वजनिक किया था्. 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाई थी और 12 मार्च शाम तक यह डिटेल देने का निर्देश दिया था. बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों में टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड भी शामिल हैं. ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज ने भी राजनीतिक दलों को चंदा दिया है.

तृणमूल कांग्रेस ने एसबीआई को पत्र लिखकर बॉन्ड की विशिष्ट संख्या मांगी है ताकि पार्टी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर सके. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कहा है कि उसे चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है.  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीआई (एम) ने कहा कि उसे भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा नहीं मिला है. 

चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए BJP, कांग्रेस, AIADMK, BRS, शिवसेना, TDP, YSR कांग्रेस को डोनेशन मिला. इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीदारों में अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन और सन फार्मा शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट  ने SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा सौंपने को कहा था. SBI ने मंगलवार शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया था. इसके बाद चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को इसे सार्वजनिक किया. 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाई थी और 12 मार्च शाम तक यह डिटेल देने का निर्देश दिया था.

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