- एआई से जुटाए गए डाटा के आधार पर ही वर्चुअल अपराधी लोगों को बना रहे शिकार
- बेथनी कॉन्वेंट स्कूल में आयोजित कार्यशाला में शिक्षकों को साइबर विशेषज्ञ हसन जैदी ने दी जानकारी
प्रयागराज:ओटीपी, ईमेल लिंक का जमाना पुराना हो चुका है। साइबर अपराध के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा है। एआई के जरिए साइबर अपराधी इंसानी सोच को हैक कर रहे हैं। इसकी मदद से जुटाए गए डाटा के आधार पर ही लोगों को वर्चुअल अपराध का शिकार बनाया जा रहा है। ऐसे में इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ-साथ अवेयरनेस भी बढ़ानी होगी। तभी साइबर अपराधियों से खुद को और समाज को बचाया जा सकेगा।
बेथनी कॉन्वेंट स्कूल नैनी में आयोजित साइबर जागरूकता कार्यशाला में शुक्रवार को साइबर विशेषज्ञ हसन जैदी ने यह बातें कहीं। शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए आयोजित इस कार्यशाला में उन्होंने साइबर अपराध के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। बताया कि साइबर अपराध अब महज ओटीपी, पिन या ईमेल लिंक तक सीमित नहीं रह गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए साइबर अपराधी इंटरनेट एक्टिविटी के आधार पर व्यक्ति की सोच को हैक करते हैं। मसलन अगर आपने किसी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर ब्यूटी प्रोडक्ट्स के बारे में सर्च किया तो कुछ देर बाद आप जो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूज करते हैं, उसे पर केवल ब्यूटी प्रोडक्ट्स से जुड़े विज्ञापन दिखने लगते हैं। यह एआई का कमाल है। साइबर अपराधी इसी एआई तकनीक का गलत इस्तेमाल लोगों को ठगने या शिकार बनाने के लिए करते हैं। वॉइस क्लोनिंग, इमेज या वीडियो मॉर्फिंग करके रुपयों की मांग करने, धमकाने, ब्लैकमेलिंग के ऐसे ढेरों मामले लगातार सामने आ रहे हैं। एआई रिलेटेड साइबर अपराध से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जब भी कभी कोई वीडियो कॉल आए तो कॉल करने वाले के चेहरे, उसकी भाव भंगिमा, उसके कहे शब्दों और होंठ के सिंक्रनाइजेशन पर विशेष तौर पर ध्यान दें। कभी कोई कॉल करके आपकी किसी अपने की आवाज में रुपए पैसों की मांग करें तो आंख मूंद कर इस पर भरोसा ना करें। एक बार संबंधित व्यक्ति से बात करें और तब ही कोई निर्णय लें। ऐसा नहीं करने पर आप वॉइस क्लोनिंग के जरिए एआई आधारित साइबर अपराध का शिकार बन सकते हैं।
हसन जैदी ने साइबर बुलिंग, साइबर ट्रैफिकिंग, साइबर स्टॉकिंग साइबर डॉक्सिंग समेत वर्चुअल अपराध के तमाम तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी। साथ ही सिम क्लोनिंग, कॉल स्कूपिंग आदि से संबंधित शिक्षकों के सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को भी शांत किया ।
बच्चों के व्यवहार में अचानक परिवर्तन आए तो खतरे की घंटी
साइबर विशेषज्ञ हसन जैदी ने शिक्षक-शिक्षिकाओं को चाइल्ड प्रोटेक्शन के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी। कहा कि बच्चों के व्यवहार में अचानक कोई परिवर्तन आए तो इसे खतरे की घंटी समझें। बच्चों से खुद बात करें और उनके अभिभावकों को भी इसकी जानकारी दें। बच्चे किसी अपराध का शिकार हों तो उन्हें डराने, धमकाने या चुप रहने के लिए हरगिज़ न कहें। उनसे प्यार से बात करें, उन्हें समझाएं और हिम्मत दें।
अभिभावकों से बात करें और अगर जरूरी लगता है तो शिक्षक या शिक्षिका खुद ncpcr.gov.in वेबसाइट पर जाकर शिकायत दर्ज कराएं। सबसे खास बात यह है कि इसमें दर्ज शिकायतों पर केंद्र सरकार की ओर से खुद कार्रवाई की जाती है और शिकायत दर्ज करने वाले शिक्षक या शिक्षिका को किसी तरह की गवाही या कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ता।
कार्यक्रम के अंत में स्कूल की प्रधानाचार्य सिस्टर शमिता ने मुख्य अतिथि का आभार जताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन बेहद जरूरी हैं जो शिक्षक शिक्षिकाओं को जागरुक करते हैं और उन्हें इस बात की भी प्रेरणा देते हैं कि वह इन जानकारियों को अपने आसपास के लोगों, अभिभावकों के साथ साझा करके उन्हें भी जागरूक करें और राष्ट्र को जागरूक बनाने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। उन्होंने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर भी सम्मानित किया।
इस दौरान सिस्टर मारी क्लियर समेत स्कूल के समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहे। वरिष्ठ शिक्षिका रिप्सी मल्होत्रा ने अतिथियों के स्वागत के साथ ही धन्यवाद भी ज्ञापित किया।