कोरोनॉ से हुई मौत के बाद अपनो ने छोड़ा साथ तो दो फरिश्तों ने निभाया इंसानियत का फर्ज।

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प्रयागराज जैसे जैसे कोरोना की त्रासदी भयावह होती जा रही है भारत में मौतों का सिलसिला भी बढ़ता जा रहा है, शमशान हो या कब्रस्तान लाशो की लाइन लगी है
कोरोना की वजह से अपनी जान गवाने वालो का न तो ठीक से अंतिम संस्कार हो पा रहा है न ही उनको सही तरीके से दफनाया जा पा रहा है क्युकी कोई भी कोरोना की डर की वजह से लाशो को छूना भी नही चाहता भले ही वो परिवार का सदस्य ही क्यों न हो

कोरोना की इस दूसरी लहर ने प्रयागराज में भी जम के तांडव किया है कोरोना की वजह से रोज़ दर्जनों मौते हो रही हैं
कोरोना से हुई मौतों की बॉडी को दफ़नाने में काफी दिक्कत आती है परिवार वाले भी छूने से कतराते हैं कोई भी नज़दीक जाना नही चाहता डर का आलम तो ये है की लोग मरने वाले के घर पुरसा देने भी नही जाते
लेकिन प्रयागराज के कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी जान की परवाह किये बिना कोरोना से हुई मौतों के जनाजों को दफ़नाने में लगे हुए हैं
दरियाबाद प्रयागराज के रहने वाले शफ़क़त अब्बास पाशा और रानी मंडी के शाहरुख़ क़ाज़ी अपनी जान की परवाह किये बिना लाशो को दफ़नाने में लगे हुए हैं

शफ़क़त अब्बास पाशा को जैसे ही किसी के कोरोना से मौत की खबर मिलती है वो अपने बेटे अजमत पाशा के साथ उसके घर पहुच जाते हैं और कफ़न और दफ़न से सारे फरायेज़ अंजाम देते हैं

शफ़क़त अब्बास पाशा कहते हैं की कोरोना से डर तो लगता है लेकिन अगर लेकिन किसी न किसी को आगे तो आना ही पड़ेगा उनका कहना है की खुदा ने उनको ही इस काम के लिए चुना है

पाशा हो या शाहरुख़ दोनों ही लोग लोग खुद और अपनी टीम को PPE किट पहना के पूरी सावधानी से कोरोना की गाइड लाइन फॉलो करते हुए सारे काम करते हैं। उनके इस नेकी के काम की हर तरफ तारीफे हो राही है । और सभी इन फ़रिस्तो के लिए दुवा कर रहे

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