कोर्ट की टिप्पणी “अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर आस्था के साथ खिलवाड़ और अपमान नही किया जा सकता, सभी धर्मों का सम्मान संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था”
ये आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने दिया है। कोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में सुप्रीम कोर्ट की नजीरों का हवाला देते हुए कहा कि फिल्म निर्माताओं प्रकाशकों को लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। कोर्ट ने पश्चिमी देशों के फिल्म निर्माताओं का हवाला देते हुए कहा कि वे जीसस व मोहम्मद पर फिल्म नहीं बनाते, किंतु हिंदी फिल्में हिंदू देवी देवताओं को लेकर बनायी जाती हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि जामिया मिलिया इस्लामिया की पढ़ी, 15 साल फिल्म जगत से जुड़ी और पत्रकारिता कोर्स कर चुकी याची ने जेएनयू दिल्ली के छात्रों के आपत्तिजनक नारों को भी शामिल किया है, जो भारतीयों को असहिष्णु बताता है और जिसमें भारत की रहने लायक देश न होने की छवि पेश करने की कोशिश की गई है।
कोर्ट ने कहा कि इस सीरीज को लेकर देश में 10 एफआइआर व चार आपराधिक केस दर्ज हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि अमेजन प्राइम वीडियो पर ऑनलाइन की गई सीरीज के डायरेक्टर सह अभियुक्त अली अब्बास हैं। याची के खिलाफ गौतमबुद्धनगर, ग्रेटर नोएडा के राबूपुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गई है, जिसके तहत अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की गई थी।
बता दें कि अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज सैफ अली खान अभिनीत वेब सीरीज ‘तांडव’ देवताओं की छवि खराब किए जाने के आरोप लगाए गए हैं। अमेजॉन प्राइम की भारत की प्रमुख अपर्णा पुरोहित समेत वेब सीरीज से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर समेत कई जिलों में एफआइआर दर्ज कराई गई है। इनके ऊपर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
पिछले दिनों वेब सीरीज को लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जुलूस, नारेबाजी, पुतला दहन और प्रदर्शन हुए थे।