कोरोना महामारी के इस दौर में इंसान कई विपरीत हालातों से संघर्ष करते हुए गुजर रहा है. पहले अस्पताल में बेड, फिर ऑक्सीजन, फिर आईसीयू, फिर वेंटिलेटर और अगर कुछ अनहोनी हो गई तो शमशान से लेकर कब्रिस्तान तक में मुक्ति के लिए लंबा इंतजार…लेकिन अब इस लड़ाई में एक नया संघर्ष अस्पताल में अपने मरीजों को सही ढंग से इलाज करा पाना भी जुड़ गया है.
तीमारदारों का आरोप है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को डॉक्टर न तो देखने आ रहे हैं और न ही सही समय पर उनको दवाई और इलाज दिया जा रहा है. ये हालत कहीं और का नहीं, बल्कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीएचयू कोविड अस्पताल का है, जिसको पूर्वांचल का एम्स भी कहा जाता है.
वाराणसी में पहले रोजाना करीब दो-दो हजार नए मरीज आ रहे थे तो अब ये आंकड़ा हजार से 1300 के बीच आ गया है. यहां कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों में भले ही मामूली कमी दर्ज की गई हो, लेकिन मरने वालों की तादाद बढ़ती चली जा रही है. क्योंकि पिछले 4 दिनों में वाराणसी में कोरोना से 51 लोगों ने दम तोड़ दिया है. इन मौतों के पीछे संसाधन की कमी एक वजह तो है ही, साथ ही कोविड अस्पतालों में फैली दुर्व्यवस्था भी सामने दिखाई देने लगी है.
पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी सेंटर में बने कोविड L-3 अस्पताल का बुरा हाल है. आजतक ने जब अस्पताल के बाहर कोविड के तीमारदारों से जानना चाहा तो लोगों ने अस्पताल की दुर्व्यवस्था को जमकर कोसा. गाजीपुर से किडनी की दिक्कत के साथ कोरोना संक्रमित अपनी पत्नी का इलाज कराने आए रामप्रकाश पांडेय ने जब बोलना शुरू किया तो उनके आंसू रुके नहीं. रोते-रोते उन्होंने बताया, “5 दिनों से उनकी पत्नी कोमा में है. डायलिसिस हुआ है, लेकिन कोई दवा नहीं दी जा रही है. इसका पता तब चलता है जब वहां जाते हैं. लापरवाही हो रही है. ये सब बताने के लिए डॉक्टर साहब मिल ही नहीं रहे हैं. यहां मरीज मारे जा रहे हैं. डॉक्टर मिल ही नहीं रहे हैं. डायलिसिस की जरूरत है, लेकिन नहीं हो रहा है.”
वहीं, चंदौली से अपनी जेठानी का इलाज कराने आईं शारदा बताती हैं कि वार्ड में डॉक्टर नहीं आ ही रहे हैं. शुरू में एक तारीख को सिर्फ डॉक्टर आए थे. उसके बाद से अबतक नहीं आए. उनके पति बताते हैं कि इसकी शिकायत किससे करने जाए. कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है.
वाराणसी के DLW की रहने वाली एक बेटी अपने रिटायर्ड पिता का इलाज BHU के कोविड अस्पताल में करा रही हैं. उनका कहना है कि “मेरे पिता वेंटिलेटर पर सिर्फ इसलिए चले गए, क्योंकि उनके पिता को इलाज नहीं मिला. उन्हें सिर्फ आक्सीजन ही दी गई. काफी पैरवी के बाद थोड़ा इलाज शुरू हुआ है. वार्ड ब्वॉय भी अंदर बैठे हुए हैं. इलाज ठीक से नहीं हो रहा है. सिर्फ थोड़ा बहुत कंपाउंडर और वार्ड ब्वॉय ही मिन्नत करने पर आ रहे हैं.
इसी दौरान एक मरीज का परिजन काफी भड़का हुआ आ गया और कहने लगा कि आप लोग कवरेज करके चले जाते हैं जिसके बाद उनके साथ सख्ती शुरू हो जाती है और उनको उनके परिजनों से मिलने तक नहीं दिया जाता
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के खास गुजरात कैडर के पूर्व सीनियर IAS अफसर और वर्तमान में MLC अरविंद कुमार शर्मा दावा करते हैं कि कहीं कोई कमी नहीं है. सबकुछ अच्छा है. अरविंद कुमार शर्मा वाराणसी के कोविड प्रभारी हैं. उन्हें यूपी सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई है. वो दावा करते हैं, “वाराणसी में बेड की व्यवस्था से लेकर ऑक्सीजन की सप्लाई और दवाओं की सुनिश्चितता सारे बिंदुओं पर काम किया गया है और ईश्वर की कृपा से सबकुछ नियंत्रण में हो गया है. लोगों का हमारे अधिकारियों और डॉक्टरों पर आत्मविश्वास बढ़ा है. सरकारी व्यवस्था पर भी विश्वास बढ़ा है.
बेड, रेमडेसिवीर और जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी के सवाल के जवाब में एके शर्मा ने बताया कि कहीं कोई कमी नहीं है. जिसको जरूरत हो रही है, उसे उपलब्ध कराया जा रहा है.
(भाषा इनपुट से)