मोदी कैबिनेट में शामिल उत्तर प्रदेश के मंत्रियों का क्या है सामाजिक समीकरण?

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नरेंद्र मोदी कैबिनेट विस्तार में उत्तर प्रदेश से 7 लोग मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं. इस बार कैबिनेट विस्तार में जातियों का खास समन्वय दिखाई दे रहा है और सामाजिक समीकरण में ओबीसी और दलितों को विशेष तवज्जो मिल रही है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यूपी से एक बार फिर गैर यादव, ओबीसी और गैर जाटव दलित पर दांव लगाया है और राज्य में 2017 की जीत दोहराने का फॉर्मूला आजमाया गया है. हालांकि सबसे ज्यादा यह भी चौंका रहा है कि किसी जाट को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.

उत्तर प्रदेश से जो 7 नए मंत्री बनाए गए हैं, उनके नाम बता रहे हैं कि बीजेपी ने जातियों का जबरदस्त मैनेजमेंट किया है. मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, आगरा से सांसद एसपी बघेल, महराजगंज से सांसद पंकज चौधरी, राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा, लखीमपुर खीरी से सांसद अजय मिश्रा और जालौन से सांसद भानु प्रताप वर्मा के अलावा सहयोगी दल अपना दल की अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाया गया है.

कुर्मी बिरादरी से पंकज चौधरी
संतोष गंगवार जो कि बरेली से 8 बार के सांसद थे उन्हें हटाया गया तो उन्हीं की कुर्मी बिरादरी के महराजगंज से 6 बार के सांसद पंकज चौधरी को मोदी मंत्रिमंडल में लिया गया है. पंकज चौधरी बीजेपी के बड़े व्यवसायी हैं और पूर्वांचल में खास असर रखते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी उनके मधुर संबंध माने जाते हैं.

पंकज चौधरी की बेटी की शादी कल गुरुग्राम के एक होटल में होनी है. चौका पर बैठकर पूजन करा रहे थे तभी फोन पर उनको बुलाया गया.

पूर्वांचल का एक सिरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) ने अनुप्रिया पटेल के सहारे साधा है तो दूसरा सिरा गोरखपुर के पास महराजगंज के पंकज चौधरी के सहारे साधा है. अनुप्रिया पटेल भी कुर्मी बिरादरी से आती हैं और इस जाति का अच्छा खासा असर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी है इसलिए इस बार पूर्वांचल से दोनों मंत्री इसी बिरादरी से है.

अनुप्रिया पटेल दूसरी बार सांसद बनी हैं और दूसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुई हैं. अनुप्रिया पटेल के बहाने बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि जो पार्टी या जो सहयोगी दल बीजेपी के साथ लॉयल रहेगा उसे जरूर इसका इनाम मिलेगा.

लोध जाति को भी प्रतिनिधित्व
पहली बार मोदी मंत्रिमंडल में लोध जाति को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है. बीएल वर्मा जो लोध (पिछड़ी जाति) जाति से आते हैं उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी इसी बिरादरी से है और लोध जाति को बीजेपी का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है. बीएल वर्मा को जगह देकर एक बड़े पिछड़े बिरादरी को साधने की कोशिश दिखाई देती है.

लखनऊ से सटे मोहनलालगंज से दलित सांसद कौशल किशोर भी मंत्रिमंडल में होंगे. दलितों में बीजेपी का सबसे बड़ा समर्थक मानी जाने वाली पासी जाति से आते हैं. कम्युनिस्ट पार्टी से शुरुआत करने वाले कौशल किशोर बीजेपी से दूसरी बार सांसद बने हैं. जाटवों के बाद पासी दूसरी सबसे दलित जाति है जो बीजेपी को वोट करती रही है. पासी जाति की तादाद पूरे उत्तर प्रदेश में फैली है और यह बीजेपी का एक बड़ा समर्थक माना जाता है.

दलित वर्ग से दूसरे सांसद भानु प्रताप वर्मा जो दलितों की कोरी जाति से आते हैं. कोरी जाति भी दलितों में बीजेपी की खास समर्थक जाति है जिससे खुद राष्ट्रपति भी हैं.

दलित और अति पिछड़ी जाति से भी बने मंत्री
दलित और अति पिछड़ी जाति से आने वाले एसपी सिंह बघेल भी हैं जो कि मूलतः पाल/गडेरिया जाति से हैं. एसपी सिंह बघेल पूर्व पुलिस अधिकारी हैं और समाजवादी पार्टी से पहले सांसद रह चुके हैं, लेकिन योगी सरकार में मंत्री रहने के बाद यह 2019 में आगरा से सांसद हुए और अब मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए.

बृज इलाके यानी इटावा फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, मथुरा और आगरा के इलाकों में इस जाति का अच्छा दबदबा है. एसपी सिंह बघेल कभी मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे हैं लेकिन पिछले सालों से बीजेपी में हैं और विधायक, राज्य में कैबिनेट मंत्री, सांसद के बाद अब केंद्रीय मंत्री बन गए हैं.

अजय मिश्रा टेनी ब्राह्मण बिरादरी से आते हैं. वह लखीमपुर खीरी से सांसद हैं और लगातार दूसरी बार जीतकर संसद पहुंचे हैं. तराई के इलाके में अच्छा खासा प्रभाव है. साथ ही यह माना जा रहा है कि कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद प्रसाद को बैलेंस करने के लिए और कार्यकर्ताओं को संदेश देने के लिए इन्हें ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मोदी कैबिनेट लाया गया है.

(भाषा इनपुट आजतक से)

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