देशभर में फैले 1.40 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों की सेहत दुरुस्त रखने में तकनीकी विशेषज्ञों की तैनाती होने जा रही है। सरकार समूचे नेटवर्क को एक प्लेटफार्म ‘रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम (आरएएमएस)’ पर लाने जा रही है। इसकी मदद से राजमार्गों के उन्नयन, चौड़ीकरण, विकास, मरम्मत आदि के बारे में अग्रिम योजना बनाई जा सकेगी। सरकार की ओर से नियुक्त होने वाले विशेषज्ञ तकनीकी सहयोग-सुझाव के जरिए आरएएमएस को प्रभावी बनाएंगे।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने 06 अगस्त को दो तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके तहत पहला सिविल इंजीनियर और दूसरा सॉफ्टवेयर-डाटा एनालिस्ट (कंप्यूटर इंजीनियर) क्षेत्र से होगा।
मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सिविल इंजीनियर को इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) के तमाम कोड व स्टैंडर्ड की जानकारी होना आवश्यक है। राष्ट्रीय राजमार्गों का डिजाइन से लेकर निर्माण तक आईआरसी के अनुसार किया जाता है। इसके अलावा उसे ब्रिज इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, राज्यों से समन्वयन आदि का अनुभव होना चाहिए। वहीं सॉफ्टवेयर-डाटा ऐनालिस्ट को प्रोग्रामिंग के साथ वेबसाइट को विकसित करने में दक्षता होनी चाहिए। इसके अलावा उसे राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर विशाल डाटाबेस का अनुभव होना चाहिए।
न्यूजीलैंड के कंसल्टेंट की मदद
अधिकारी ने बताया कि न्यूजीलैंड के कंसल्टेंट से आरएएमएस सॉफ्टवेयर के बारे में मदद ली जा रही है। परिवहन मंत्रालय, एनएचएआई, बीआरओ, एनएचएआईडीसीएल, पीडब्ल्यूडी आदि एजेंसियों के राजमार्गों के विवरण व दूसरी जानकारियों उक्त सॉफ्टवेयर पर अपलोड की जाएंगी। आरएएमएस एक स्वतंत्र इकाई की तरह काम करेगा। इसका डाटाबैंक देश के नए राजमार्गों के निर्माण की अग्रिम योजना, बजट का प्रावधान, राजमार्गों का संचालन, मरम्मत अपडेट व अपग्रेड करने में तकनीकी विशेषज्ञों की मदद करेगा। इससे देश की रामजार्गों के समग्र विकास और उनकी प्राथमिकताएं तय की जा सकेंगी।
जीआईएस से राजमार्ग की स्थिति पता चलेगी
आरएएमएस के भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) की मदद से सड़क यात्रियों व पर्यटकों को राजमार्ग की स्थिति और निर्माण कार्य के चलते डायर्वजन आदि की ऑनलाइन जानकारी मिल सकेगी। यानी करोड़ों पर्यटक, सड़क यात्री सड़कों की हालत, डॉयवर्जन, पर्यटक स्थल, होटल आदि सुविधाओं का ऑनलाइन पता कर सकेंगे। सड़कों की हालत, यातायात जाम, फुटपाथ, सड़क किनारे यात्री सुविधा केंद्र, अस्पताल-नर्सिंग होम, पुलिस स्टेशन आदि की जानकारी ऑनलाइन मिलेगी।