माहे मोहर्रम की दसवीं पर इमामबाड़ा नाज़िर हुसैन बख्शी बाज़ार से निकाला जाने वाला तुरबत का जुलूस इस वर्ष भी कोरोना गाईड लाईन पर अमल करते हुए सड़को पर नहीं निकाला गया।इमामबाड़े के अन्दर ही शहादत का बयान हुआ।इमामबाड़े मे तुरबत को गश्त कराकर कर वहीं पर लोगों को ज़ियारत कराई गई।
वहीं रानीमण्डी स्थित इमामबाड़ा नक़ी बेग से स्व युसूफ हुसैन द्वारा १९४७ में क़ायम किया गया दुलदुल का जुलूस भी नहीं निकला।इमामबाड़े मे ज़ाकिर ए अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने करबला के बहत्तर शहीदों की हक़ और इन्सानियत को बचाने के लिए दी गई क़ुरबानी का ज़िक्र किया।
अन्जुमन हैदरिया रानीमण्डी के नौहाख्वान हसन रिज़वी,सज्जाद अली ने नौहा पढ़ा।इमामबाड़े के अन्दर ही दुलदुल की ज़ियारत कराई गई।दुलदुल जुलूस के आयोजक बशीर हुसैन ने लोगों सरकारी गाईड लाईन के अनुपालन मे लोगों को ज़ियारत कराई।दिन भर लोग इमामबाड़े मे ज़ियारत को पहुँचते रहे।चक स्थित जामा मस्जिद,बख्शी बाज़ार स्थित क़ाज़ी जी की मस्जिद मे आशूरे का विशेष आमाल ओलमाओं द्वारा कराया गया।
अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सै०मो०अस्करी के मुताबिक़ रानीमण्डी,बख्शी बाज़ार,दायरा शाह अजमल,रौशनबाग़,चक ज़ीरो रोड,घंटाघर,सब्ज़ीमण्डी,बरनतला,बैदन टोला,करैली सहित अन्य मोहल्लों के इमामबाड़ो मे रखे गए ताज़िये के साथ अलम,ताबूत,ज़ुलजनाह,ज़री,तुरबत,व झूले पर चढ़ाए गए फूलों को दो और चार की संख्या मे करबला क़ब्रिस्तान ले जाकर नम आँखों से सुपुर्देखाक कर दिया गया।
वहीं दरियाबाद के इमामबाड़ा,सलवात अली खाँ,इमामबाड़ख अरब अली खाँ,इमामबाड़ा मोजिज़नूमा सहित सैकड़ो घरों मे सजे अलम ताबूत व झूले के फूलो व ताज़िये को दरियाबाद क़ब्रिस्तान मे इमाम हुसैन के रौज़े के पास बनाए गए गंजे शहीदाँ मे सुपुर्द ए लहद किया गया। इसी तरह बड़ा ताजिया के फूल भी पूरी अकीदत और ऐतराम के साथ कर्बला में दफ्न हुए.
बड़ा ताजिया मुहर्रम कमेटी के सचिव इमरान खान की अगुवाई सुबह फ़ज़र की नमाज़ के बाद ताज़िये का फूल दफ्न किया गया। मुतवल्ली इमरान खान के मुताबिक बड़े ताज़िये पर भीड़ न आये इसके लिए गली के दोनों रास्तों पर पहले ही पुलिस तैनात की गई है।