उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार अपने मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल का कदम कदम उठा सकती है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीएल संतोष से दिल्ली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल की मुलाकात के बाद यूपी में कैबिनेट विस्तार की संभावना जातायी जाने लगी है.
राज्यपाल कोटे से मनोनीत होने वाले एमएलसी के नामों पर भी गुरुवार शाम बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बीच चर्चा कर, उन्हें फाइनल कर लिया गया है. मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही एमएलसी मनोनयन की प्रक्रिया भी रुकी है. चर्चा यही है कि नए एमएलसी में से भी एक-दो को मंत्री बनाया जा सकता है. ऐसे में बीजेपी हर तरह से समीकरण पर विचार कर रही हैं. इसके साथ ही 2022 के लिए सियासी समीकरण दुरुस्त करने के लिए निषाद समुदाय के आरक्षण की मांग का भी हल तलाशने में जुट गई है.
यूपी विधानमंडल का मॉनसून सत्र स्थगित होते ही गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल दिल्ली पहुंचे. यूपी की तीनों नेताओं ने बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक की. सूत्रों की मानें तो नड्डा और शाह के साथ हुई मुलाकात में मंत्रिमंडल विस्तार और एमएलसी बनाए जाने के लिए चार नामों पर सहमति बन गई है अब दिल्ली से लौटकर किसी भी दिन कैबिनेट विस्तार और एमएलसी के नामों की घोषणा हो सकती है.
एमएलसी के लिए जिन चार लोगों की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है उसमें निषाद पार्टी के संजय निषाद, जितिन प्रसाद लक्ष्मीकांत बाजपेई और अति पिछड़ी जाति से एक नाम हो सकता है. इस तरह बीजेपी यूपी में पिछड़ों और ब्राह्मणों को साधने की रणनीति अपना सकती है, क्योंकि विपक्ष इन्हीं दोनों पर घेरने में जुटा है.
नड्डा और शाह के साथ हुई बैठक में सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुनील बंसल या फिर स्वतंत्र सिंह ही नहीं हुई बल्कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद जी मीटिंग में थे. संजय निषाद एमएलसी और मंत्री बनने के लिए लगातार दवाब बना रहे हैं. इसके अलावा संजय निषाद यूपी में मल्लाह (निषाद) समुदाय के आरक्षण की मांग भी उठा रहे हैं.
माना जा रहा है कि भाजपा प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व की इस अहम मुलाकात में निषाद समुदाय आरक्षण के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. केंद्र सरकार से राज्यों को मिले अधिकार के तहत प्रदेश की कुछ सामान्य वर्ग में शामिल जातियों को पिछड़े में शामिल किया जा सकता है और 17 अतिपिछड़ों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने प्रक्रिया पहले से संभावित है. ऐसे में योगी सरकार यूपी चुनाव से पहले निषादों के आरक्षण का दांव भी चल सकती है.
(भाषा इनपुट आजतक से)