सीएम योगी-केशव मौर्य के बीच मिठास घोलने की बीजेपी-संघ की कवायद ‘समन्वय खीर’ से

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पांच कालीदास मार्ग से करीब 120 मीटर की दूरी पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बंगला सात कालीदास मार्ग है. इस दस कदम की दूरी को तय करने में सीएम योगी आदित्यनाथ को सवा चार साल लग गए. बहाना भले ही केशव मौर्य के पुत्र के विवाह के बाद भोज का था, लेकिन संघ और बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने ‘समन्वय खीर’ के जरिए योगी-केशव के रिश्ते में मिठास घोलने का प्रयास किया है, क्या इससे दोनों नेताओं के बीच चार साल से चली आ रही खटास दूर हो पाएगी?

बता दें कि उत्तर प्रदेश की सियासत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के बीच लंबे समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सवा चार साल की सरकार में डिप्टी सीएम और सीएम के बीच आपसी मनमुटाव और मतभेद कई बार खुलकर भी सामने आ चुका है. हाल ही में केशव प्रसाद मौर्य ने जिस तरह से 2022 में मुख्यमंत्री फेस को लेकर बयान दिया और फैसला केंद्रीय नेतृत्व के पाले में डाल दिया, शायद यही देखते हुए बीजेपी चुनावी रण में उतरने से पहले प्रदेश के दोनों नेताओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने में जुट गई.

भोज के लिए पहुंचे थे ये नेता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होशबोले, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल और क्षेत्र प्रचारक अनिल सिंह समेत कुछ और पदाधिकारी मंगलवार दोपहर डिप्टी सीएम केशव मौर्य के सात कालीदास मार्ग आवास पर भोज के लिए पहुंचे थे. केशव मौर्य ने सभी नेताओं को भोजन में तोरई, लौकी की सब्जी, अरहर की दाल, सलाद, पापड़, चपाती और मीठे में खीर परोसी. सीएम समेत संघ और बीजेपी के नेताओं ने भोजन किया और केशव मौर्य के बेटे और बहू को आशीर्वाद दिया.

केशव मौर्य के घर भले ही भोजन के बहाने सीएम योगी समेत संघ और भाजपा के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा हुआ, लेकिन उससे यह साफ संकेत मिला कि यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर संघ और बीजेपी नेतृत्व किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है. चुनाव तैयारियों के बीच यह संदेश नहीं जाने देना चाहते कि पार्टी में खींचतान या नेताओं के बीच किसी तरह का मनमुटाव है. आरएसएस और बीजेपी नेतृत्व केशव मौर्य और योगी के बीच तकरार को खत्म कर कार्यकर्ताओं के साथ अपने वोट बैंक को एकजुटता का संदेश देने की कोशिश में लगे हैं.

दरअसल, बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रभारी राधा मोहन सिंह के साथ सोमवार रात मुख्यमंत्री आवास पर बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक हुई थी. इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा, केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह भी शामिल हुए थे. बताया जा रहा है कि इस दौरान केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी दोनों के बीच की अनबन खुलकर सामने आई थी, केशव ने पार्टी और सरकार में उपेक्षा की शिकायत की थी.

बीजेपी नेताओं ने इसी दौरान केशव मौर्य को उनके पुत्र के विवाह की शुभकामनाएं व बधाइयां दीं तो डिप्टी सीएम ने सभी को मंगलवार को दोपहर अपने घर पर भोजन पर आमंत्रित कर लिया. महज 120 मीटर की ही दूरी पर रहते हुए सीएम योगी सवा चार साल में कभी केशव के घर नहीं गए थे. ऐसे में मंगलवार दोपहर जिस तरह से सीएम योगी सहित तमाम दिग्गज सात कालीदास मार्ग केशव मौर्य के घर भोजन पर पहुंचे और भोजन किया, इसके संकेत साफ हैं कि 2022 चुनाव को लेकर संघ और बीजेपी नेतृत्व किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है और एक बेहतर समन्वय बनाने की कोशिश में जुट गया है.

यूपी की सियासत और बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए ओबीसी वोटर काफी अहम है. यूपी में भले ही योगी हिंदुत्व का चेहरा हों, लेकिन बीजेपी में ओबीसी के नेता केशव मौर्य माने जाते हैं. यूपी में करीब 7 फीसदी मौर्य समाज का वोट है, जिसमें शाक्य, सैनी और कुशवाहा जाति भी आती हैं. इसे किसी भी हालत में बीजेपी गंवाना नहीं चाहती है. ऐसे में बीजेपी योगी और केशव दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती है. इसलिए अब बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है और उनके बीच समन्वय बनाया जा रहा है.

(भाषा इनपुट से)

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