अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत को लोग उनके पूर्व शिष्य नरेंद्र गिरी से हुए विवाद से भी जोड़कर देख रहे हैं। विवाद बढ़ने के बाद आनंद गिरी ने बाद में वीडियो जारी कर नरेंद्र गिरी का चरण पकड़कर माफी मांग ली थी और संत परंपरा के अनुसार महंत नरेंद्र गिरी ने उन्हें माफ करने का वीडियो जारी किया था, लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ था।
सार्वजनिक तौर पर वीडियो जारी करके भले ही विवाद को खत्म करने का संदेश दिया गया, लेकिन अंदर ही अंदर विवाद कायम रहने की खबर आ रही थी। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु नरेंद्र गिरी का दर्शन और पूजन करने के लिए आनंद गिरी नहीं आए थे। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि विवाद अभी थमा नहीं है।
शिष्य ने गुरु की शिकायत राष्ट्रपति और पीएम से की थी
निरंजनी अखाड़े से निष्कासित महंत आनंद गिरि और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के बीच मठ-मंदिरों की जमीनों को लेकर विवाद हो गया था। इसके बाद महंत आनंद गिरी के शिष्य स्वामी आनंद गिरि ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को पत्र भेजकर अखाड़े के विवाद की शिकायत भी की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि शहर के कीडगंज स्थित गोपाल मंदिर को भी आधा बेच दिया गया है। मठ और मंदिर की बेची गई जमीनों के करोड़ों रुपये के दुरुपयोग की उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के लाखों रुपये के चढ़ावे और प्रसाद से होने वाली बेहिसाब आमदनी की भी जांच कराने की मांग की थी। शिकायत में उन्होंने लिखा था कि केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ निरंजनी अखाड़े को मठ बाघंबरी गद्दी के अलावा अखाड़े की बेची गई जमीनों के करोड़ों रुपये किस मद में खर्च किए गए, इसकी जांच करानी चाहिए।
(भाषा इनपुट से)