उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को लखनऊ की एमपी/एमएलए अदालत ने चित्रकूट में एक महिला से गैंगरेप और उनकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया है.
इस मामले में सह-अभियुक्त आशीष शुक्ल और अशोक तिवारी को भी कोर्ट ने गैंगरेप और पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोषी करार दिया है. वहीं अमरेंद्र सिंह उर्फ़ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ़ रुपेश को सबूतों के अभाव में बरी किया गया है.
ज़िला सरकारी अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने बीबीसी से इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “मंत्री और दो अन्य को गैंगरेप और पोक्सो एक्ट के तहत दोषी पाया गया है. फिलहाल ये सभी दोषी लखनऊ जेल में हैं और शुक्रवार को इन सभी को सज़ा सुनायी जाएगी.
गैंगरेप लखनऊ के गौतमपल्ली में मंत्री के सरकारी आवास पर हुई थी.
इस मामले की सुनवाई 2017 से चल रही थी. इस दौरान सभी अभियुक्त जेल में ही बंद थे. अब अदालत दो दिन बाद यानी 12 नवंबर को इन सभी को सज़ा सुनाएगी.
जिन लोगों को मामले में बरी किया गया है उनमें चंद्रपाल, गायत्री प्रजापति के गनर हुआ करते थे और बाकी अन्य उनके करीबी सहयोगी थे. महिला ने इस सभी पर बलात्कार का आरोप लगाया था.
सरकारी वकील मनोज त्रिपाठी ने बताया, “फिलहाल जजमेंट की कॉपी नहीं मिली है. कॉपी मिलने के बाद देखा जाएगा और अपील के लायक होगा तो उसमे अपील भी की जाएगी.”
2017 में अखिलेश यादव की सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के ख़िलाफ़ इस मामले के आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एफ़आईएआर दर्ज की गयी थी.
तब उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव चल रहे थे. गायत्री प्रजापति पर अखिलेश यादव सरकार के दरम्यान खनन में धांधली के भी आरोप हैं और अप्रैल 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी करोड़ों की संपत्ति की कुर्क कर चुका है.
(भाषा इनपुट बीबीसी से)