समाजवादी पार्टी की सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति और उनके दो सहयोगियों को बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है. शुक्रवार को लखनऊ की ‘एमपी-एमएलए अदालत’ के विशेष जज पवन कुमार राय ने ये फ़ैसला सुनाया.
दोषी करार दिए गए सभी लोगों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की राशि का इस्तेमाल पीड़ित महिला के पुनर्वास में किया जाएगा.
खनन मंत्री रहते हुए गायत्री प्रजापति और उनके अन्य सहयोगियों पर चित्रकूट की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म की कोशिश करने के आरोप में गैंगरेप और पोक्सो क़ानून के तहत दोषी करार दिया गया.
कोर्ट ने बुधवार को ये फ़ैसला सुनाते वक़्त गायत्री प्रजापति के दो अन्य सहयोगियों आशीष शुक्ल और अशोक तिवारी को भी दोषी करार दिया. आशीष और अशोक दोनो को भी आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी.
हालांकि अदालत ने तीन लोगों को दोषी पाने के अलावा प्रजापति के अन्य सहयोगियों अमरेंद्र सिंह उर्फ़ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ़ रूपेश को बरी कर दिया. चंद्रपाल गायत्री प्रजापति के गनर थे और बाकी सभी अभियुक्त उनके करीबी सहयोगी हैं, जिन पर महिला ने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था.
2017 की लखनऊ की है ये घटना
लखनऊ के गौतमपल्ली में मंत्री के सरकारी निवास पर घटी थी. बाद में, सुप्रीम कोर्ट के दख़ल के बाद एफआईआर दर्ज किया गया और अभियुक्तों की गिरफ़्तारी की गयी थी.
2017 में अखिलेश यादव की सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद काफी दबाव में एफआईआर दर्ज की गयी थी. उस समय उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे थे.
गायत्री प्रजापति और अखिलेश यादव सरकार में खनन में धांधली करने के भी संगीन आरोप हैं. अप्रैल 2021 में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने उनकी करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर ली.
(भाषा इनपुट बीबीसी से)