प्रयागराज जिला अदालत में वादकारी से मार-पीट व पीठासीन अधिकारी को भयभीत करने का मामला
हाईकोर्ट ने जिला जज की रिपोर्ट पर आरोपी दस वकीलों के अदालत परिसर में प्रवेश पर लगाई रोक
वकीलों को जारी की आपराधिक अवमानना नोटिस
पुलिस कमिश्नर को परिसर की सुरक्षा के साथ इन वकीलों के अपराध में संलिप्तता पर मांगी रिपोर्ट
प्रयागराज 14 मई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालत प्रयागराज में वकीलों के झुंड द्वारा न्याय कक्ष व जज चेंबर में घुसकर वादकारियों से मार-पीट करने व जज से दुर्व्यवहार करने की घटना पर जिला जज की रिपोर्ट पर बड़ी कार्रवाई की है।
कोर्ट ने दस वकीलों को आपराधिक अवमानना नोटिस जारी कर सफाई मांगी हैं और उनके जिला अदालत प्रयागराज परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से इन वकीलों के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस की जानकारी मांगी है तथा अदालत परिसर की सुरक्षा में जिला जज के आदेशानुसार सुरक्षा बल तैनात करने का भी आदेश दिया है।
इससे पहले कोर्ट ने दो वकीलों रणविजय सिंह व मोहम्मद आसिफ को नोटिस जारी कर सफाई मांगी थी। उन्हें बेहतर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है।
कोर्ट ने इन दोनों वकीलों के जिला अदालत परिसर में प्रवेश पर पहले ही रोक लगा रखी है।
कोर्ट ने जिला जज से घटना की सी सी टी वी फुटेज देखकर अवमानना करने वाले अन्य वकीलों की संलिप्तता पर रिपोर्ट मांगी थी । रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की गई। जिसमे दस वकीलों के नाम का खुलासा किया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एम ए एच इदरीसी की खंडपीठ ने जिला जज द्वारा पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट पर संदर्भित अवमानना रिफरेंस की सुनवाई करते हुए दिया है।
मालूम हो कि प्रयागराज जिला अदालत मे मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल केस की सुनवाई चल रही थी कि रणविजय सिंह जो अधिवक्ता है भीड़ के साथ कोर्ट रूम में आये और पीठासीन अधिकारी पर रणविजय सिंह व अन्य बनाम खुर्शीद अहमद व अन्य केस की तत्काल सुनवाई का दबाव डाला।और वादकारी मोनीस परवेज व उनकी बीबी से मार-पीट की। वे बचाव में पीठासीन अधिकारी के चेम्बर में गये तो वहा भी मारा पीटा। पीठासीन अधिकारी ने वहां से निकल कर सी जे एम के चेंबर में जा अपनी जान बचाई।कहा उनके जीवन को भय है।ए सी पी /एस एच ओ को सूचित किया गया।जब पुलिस आई तब पीठासीन अधिकारी अपने चेंबर में जा सकी और घटना की रिपोर्ट जिला जज को दी। जिसे जिला जज ने हाईकोर्ट को प्रेषित किया और कार्यवाही की शिफारिश की।जिस पर कोर्ट ने अवमानना केस दर्ज कर यह आदेश दिया है।