बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग प्रेमिका से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी है। जमानत का देते हुए अदालत ने कहा कि घटना के समय भले ही लड़की नाबालिग थी, इसके बावजूद वह अपने कार्यों के परिणामों को समझने में सक्षम थी।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने 15 नवंबर को दिए गए अपने आदेश में यह भी कहा कि पीड़िता स्वेच्छा से आरोपी के साथ अपनी मौसी के यहां गई थी। जहां कथित अपराध हुआ था। बता दें कि ये घटना बीते साल हुई थी और उस समय प्रेमिका की उम्र 15 साल थी।
अदालत ने की टिप्पणी
अदालत ने कहा कि अब तक हुई सुनवाई से ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़िता भले ही नाबालिग थी, लेकिन अपने कृत्य के परिणामों को समझने में सक्षम थी और वह स्वेच्छा से आरोपी के साथ उसकी मौसी के घर गई थी। हालांकि वह नाबालिग है और इस तरह के मामले में उसकी सहमति महत्वहीन हो जाती है। अदालत ने आगे कहा कि मौसी के घर वह अपनी इच्छा से आवेदक के साथ शामिल हुई। उसने स्वीकार किया कि वह आवेदक के साथ प्यार में थी, भले ही उसने संभोग के लिए सहमति दी हो या नहीं। यह सबूत का मामला है। अदालत ने आगे कहा कि पीड़ित लड़की ने यौन कृत्य का विरोध किया या नहीं और किस बिंदु पर आरोपी ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए, यह परीक्षण के समय निर्धारित किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि आवेदक(आरोपी) भी एक युवा लड़का है और उसके भी मोहभंग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में उसे आगे कैद में रखने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसे अप्रैल 2021 में गिरफ्तार किया गया था और इस मुकदमे के निपटारे में काफी समय लग सकता है। पीठ ने आरोपी को जमानत देते हुए उसे निर्देश दिया कि वह पीड़िता से कोई संपर्क नहीं करेगा और उपनगरीय मुंबई में उसके घर के आस-पास भी नहीं जाएगा।
क्या है मामला
गौरतलब है कि पीड़िता द्वारा 29 अप्रैल, 2021 को आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसने शिकायत में कहा था कि आरोपी ने 6 अप्रैल, 2021 को उसके साथ बलात्कार किया था, जब वह उसके साथ मुंबई के एक उपनगर में उसकी मौसी के घर गई थी। पीड़ित लड़की ने कहा कि उसने 29 अप्रैल को अपनी बहन को इस घटना के बारे में तब बताया जब उसके परिवार ने उसे व्हाट्सएप पर चैट करते पकड़ा।
शिकायत दर्ज करने में देरी को लेकर अदालत ने कहा कि ‘पीड़िता तब तक चुप रही जब तक कि आवेदक के साथ उसके व्हाट्सएप चैट पर उसके परिवार के सदस्यों द्वारा आपत्ति नहीं की गई। वह 6 अप्रैल से चुप रही और घटना का खुलासा तभी किया जब उसके परिवार द्वारा एक आपत्ति ली गई थी।
(भाषा इनपुट से daily hunt अमर उजाला)