उत्तर प्रदेश के पुलिस थानों में महिला पुलिसकर्मियों को जरूरी मूलभूत सुविधाएं और शौचालय उपलब्ध कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है।
कोर्ट ने प्रदेशभर के 1467 थानों में सेप्रेट महिला टॉयलेट को लेकर सरकार द्वारा जारी किए गए 94 करोड़ के बजट के खर्च का ब्योरा मांगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और यूपी पुलिस आवास निगम से 17 जुलाई तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए 94 करोड़ रुपए के बजट को कहां पर खर्च किया गया है।
प्रदेश भर के कितने पुलिस थानों में अलग से महिला पुलिस कर्मियों के लिए टॉयलेट बनाए गए हैं। अगली सुनवाई की तारीख पर कोर्ट में सरकार और यूपी पुलिस आवास निगम को मामले में जवाब दाखिल करना होगा।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2021 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेशभर के सभी पुलिस थानों में महिला पुलिस कर्मियों के लिए अलग से टॉयलेट बनाए जाने को लेकर सरकार से कार्योजना मांगी थी। जिसमे सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा गया था कि प्रदेश के सभी थानों में अलग से महिला पुलिसकर्मियों के लिए टॉयलेट और दूसरी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का फैसला लिया गया है। जिसके लिए सरकार की तरफ से 94 करोड़ का बजट जारी किए जाने की बात कही गई थी।
दो साल बीतने के बाद याचियों की तरफ से प्रयागराज के दर्जनों पुलिस थानों का स्थलीय निरीक्षण के बाद एक रिपोर्ट तैयार करते हुए हाईकोर्ट में दाखिल की गई। जिसमें कहा गया कि सरकार ने दो साल पहले 94 करोड़ से ज्यादा का बजट जारी किया था। लेकिन अभी भी पुलिस थानों के हालात पहले जैसे ही हैं।
महिला पुलिस कर्मियों के लिए थानों में अलग से न तो टॉयलेट हैं और न ही दूसरी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए सरकार से 17 जुलाई तक जवाब तलब किया है। जिसमें पूछा गया है कि सरकार की तरफ से जो बजट जारी किया गया था। उसका उपयोग कहां पर हुआ है। प्रदेशभर में कुल कितने थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से टॉयलेट का निर्माण कराया गया है।