सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को योग गुरु रामदेव को कोरोना महामारी के दौरान एलोपैथी मेडिसीन पर दिए गए उनके बयान का वास्तविक रिकॉर्ड अदालत में दाखिल करने को कहा है.
चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने योग गुरु की तरफ़ से पेश होने वाले सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी से पूछा, “जो उन्होंने कहा है, उसका ओरिजिनल रिकॉर्ड कहां है? आपने पूरी तस्वीर सामने नहीं रखी है.
इस पर मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया कि वो रामदेव के बयान का ओरिजिनल वीडियो और उसका ट्रांसक्रिप्ट पेश कर देंगे. इस बेंच में चीफ़ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मुकुल रोहतगी को इसकी इजाजत देते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई तय कर दी.
कोरोना महामारी के दौरान एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर रामदेव की कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बिहार और छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई थी.
रामदेव ने इन्हीं मामलों की कार्यवाही रुकवाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है जिसपर सु्प्रीम कोर्ट में आज ये सुनवाई हुई.
आईएमए के पटना और रायपुर चैप्टर्स ने रामदेव की टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी कि इससे कोरोना महामारी के रोकथाम की प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
रामदेव ने अपनी याचिका में पटना और रायपुर में दर्ज प्राथमिकी को दिल्ली हस्तांतरित करने का आवेदन किया है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर हुई सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि रामदेव एक पब्लिक फिगर हैं और योग और आयुर्वेद का वे प्रचार करते हैं. एक इवेंट के दौरान उन्होंने व्हॉट्सऐप पर आया एक मैसेज पढ़कर सुनाया था.
मुकुल रोहतगी ने बताया कि रामदेव ने इस बात को लेकर स्पष्टीकरण दिया है उनके मन में डॉक्टरों या किसी के लिए कोई बैर नहीं है. लेकिन इसके बावजूद अलग-अलग जगहों पर उनके ख़िलाफ़ शिकायतें दर्ज कराई गईं.
(भाषा इनपुट bbc से)