उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी हलचलें तेज हैं. राज्य के नए मुख्यमंत्री का चयन होना है. बीजेपी सांसद और राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कल (शुक्रवार, 2 जुलाई) की शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनका कार्यकाल सबसे छोटा रहा. वह मात्र चार महीने ही मुख्यमंत्री पद पर रह सके. तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ उग्र असंतोष के बीच, तीरथ सिंह रावत ने इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वह राज्य के 10वें ऐसे शख्स हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला है.
राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था. तब नित्यानंद स्वामी को राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया था. उनका कार्यकाल 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक यानी कुल 354 दिनों का रहा. उनके बाद भगत सिंह कोश्यारी को नया सीएम बनाया गया था. उनका भी कार्यकाल चार महीने का ही रहा. वह कुल 122 दिन ही इस पद पर रह सके.
2002 में हुए राज्य के पहले विधान सभा चुनाव में सत्तासीन बीजेपी की हार हुई थी और कांग्रेस की जीत. तब कांग्रेस की तरफ से बुजुर्ग नेता नारायण दत्त तिवारी राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए थे. उत्तराखंड के इतिहास में अब तक तिवारी ही ऐसे अकेले नेता रहे हैं जिन्होंने अपने मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरे पांच साल तक पूरा किया है. तिवारी 2 मार्च 2002 से लेकर 7 मार्च 2007 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे.
साल 2007 में राज्य की दूसरी विधानसभा के लिए चुनाव हुए. इन चुनावों में बीजेपी की जीत हुई. भुवन चंद्र खंडूरी को राज्य का नया सीएम बनाया गया. हालांकि उन्हें भी बीच में ही पद छोड़ना पड़ा. 7 मार्च, 2007 से लेकर 26 जून 2009 तक यानी कुल 2 साल 111 दिन तक खंडूरी राज्य के सीएम रहे. उनके बाद रमेश पोखरियाल को राज्य की बागडोर सौंपी गई. उन्होंने 27 जून, 2009 से लेकर 10 सितंबर, 2011 तक यानी कुल 2 साल 75 दिनों तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की लेकिन चुनावों से ठीक पहले उन्हें हटाकर फिर से खंडूरी को बागडोर दे दी गई. खंडूरी दूसरी बार राज्य क सीएम बनाए गए. इस बार उनका कार्यकाल 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012 तक (184 दिन) रहा.
तीसरी विधानसभा का गठन होने के बाद फिर से कांग्रेस की सरकार बनी. विजय बहुगुणा को राज्य का नया सीएम बनाया गया लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदरखाने उठापटक के बाद उन्हें भी 1 साल 324 दिन के बाद पद से इस्तीफा देना पड़ा. बहुगुणा 13 मार्च 2012 से लेकर 31 जनवरी 2014 तक सीएम रहे. उनके बाद हरीश रावत को नया मुख्यमंत्री बनाया गया. रावत सियासी उठापटक के बीच इसी विधान सभा के कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बने.
हरीश रावत ने सबसे पहले 1 फरवरी, 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. 27 मार्च 2016 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद 25 दिन में ही उसे हटा दिया गया. इस तरह रावत ने एक दिन के लिए दूसरी बार 21 अप्रैल 2016 को सीएम पद की शपथ ली. 22 अप्रैल को फिर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया, जो 19 दिन चक चला. अदालती कार्यवाही के बाद फिर से रावत ने 11 मई, 2016 को सीएम पद की कमान संभाली. वह 18 मार्च, 2017 तक इस पद पर रहे.
चौथी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और बीजेपी की जीत. तब पार्टी की तरफ से त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया गया. उन्होंने 18 मार्च, 2017 को सीएम पद की शपथ ली लेकिन इस साल बजट सत्र के बीच ही 10 मार्च को पार्टी के दवाब में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. उनके बाद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया, जिन्होंने 2 जुलाई को सबसे छोटा कार्यकाल (मात्र 114 दिन) के बाद इस्तीफा दे दिया है. राज्य के इतिहास में उनके नाम यह रिकॉर्ड दर्ज हो गया है.