उन्नाव में दलित परिवार की दो लड़कियों की संदिग्ध मौत की जांच जारी है. गांव के लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर इनकी मौत कैसे हुई. गांव वालों के मुताबिक ये तीनों अच्छी दोस्त थीं. वो साथ में पढ़ाई करती थीं और खेलती भी थीं. वो तीनों आपस में बेहद खुश रहती थीं. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. बुधवार को दो लड़कियां मृत पाई गईं. जिनका शुक्रवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि तीसरी लड़की कानपुर अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है. मरने वाली दोनों लड़कियां आपस में बुआ भतीजा थी.
गुरुवार को पुलिस ने दो लड़कियों की मौत के मामले में हत्या का केस दर्ज किया है. शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, इनकी मौत किसी तरह के जहरीला पदार्थ से हुई है हालांकि ये पदार्थ क्या था, इसकी जानकारी मिलनी अभी बाकी है. उन्नाव पुलिस की ओर से मामले की जांच करने के लिए कई टीमों का गठन कर दिया गया है.
अभी तक की जांच में यह तो साफ हुआ है कि मरने वाली दोनों लड़कियों के शरीर में जहरीला पदार्थ पाया गया है. लेकिन किसी भी तरीके की जोर-जबरदस्ती या चोट के निशान नहीं मिले हैं.
दरअसल, उन्नाव के असोहा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत पाठकपुर के मजरे बबुरहा में इसी बुधवार को दोपहर 3:00 बजे के करीब बुआ और भतीजी खेत में पशुओं के लिए हरा चारा लेने गई थीं, लेकिन देर शाम तक घर नहीं लौटीं. शाम में परिजन लड़कियों को खोजने के लिए निकले.
परिजनों के मुताबिक, खेत में तीनों लड़कियां कपड़े से बंधी मरणासन्न हालत में मिली थीं. तीनों के मुंह से झाग निकल रहा था. जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो दो मृत निकलीं, जबकि तीसरी की हालत गंभीर थी.
पीड़िता के भाई का कहना है कि लड़कियां हर रोज काम के लिए खेत में जाती थीं, हमें किसी पर शक नहीं है. ऐसे में हम किसी पर कैसे उंगली उठा सकते हैं. वहीं मृतका के परिजनों ने कहा कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है. उसके गले में दुपट्टा बंधा था. उनके कपड़े फटे थे. हाथ और गर्दन दोनों दुपट्टे से बंधे थे. मृतका की मां ने कहा कि उसने दुपट्टे की गांठ खोली थी. महिला ने बताया कि उसने, उसके पति और दूसरी मृतका की मां ने लड़कियों के दुपट्टे की गांठ खोली थी.
हालांकि उनसे भी जब यह पूछा गया कि क्या किसी पर आपको शक है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गांव में उनसे किसी की कोई दुश्मनी नहीं थी. यह पहली दफा है जब उसके परिवार वालों के साथ गांव में कुछ बुरा हुआ है.
ये लड़कियां गांव में 50 मीटर के परिधि के अंदर ही रहती थीं. ये सभी एक ही स्कूल में पढ़ाई करती थीं, जो इनके घर से महज एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर था. तीसरी लड़की जो अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है, उसकी चार बहनें और दो भाई हैं.
फिलहाल लखनऊ से आए छह डॉक्टर की टीम उसकी देखभाल कर रहे हैं. मरने वाली सबसे छोटी लड़की की उम्र 16 साल के करीब थी. उसने नौवीं क्लास तक की पढ़ाई की थी. जबकि एक साल छोटी भतीजी 10वीं पास थी.
मरने वाली बड़ी लड़की के चार भाई और दो बहने हैं. उसके तीन भाई गांव के बाहर मजदूरी करते हैं. वहीं मरने वाली छोटी लड़की की मां पहले ही गुजर चुकी थी. उसके पिता ही उसकी देखभाल करते थे. उसने दूसरी शादी कर रखी है. जिससे उसकी दो संतानें हैं. उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है.