किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे

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दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के आज 100 दिन पूरे हो गए हैं. इस आंदोलन के सौ दिन पूरे होने पर शनिवार को केएमपी (कुंडली मानेसर पलवल) एक्सप्रेसवे की 5 घंटे की नाकाबंदी के साथ साथ काला दिवस के रूप में चिह्नित किया जाएगा. इसके अलावा डासना, दुहाई, बागपत, दादरी,ग्रेटर नोएडा पर जाम किया जाएगा. सभी किसान काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे. टोल प्लाजा भी फ्री किये जाएंगे.
दिल्ली के अलावा मध्यप्रदेश के छतरपुर में भी 87 दिनों से किसानों का धरना-प्रदर्शन चल रहा है. पुलिस प्रशासन ने अब तक उन्हें न तो टेंट लगाने की अनुमति दी ही और न ही कोई अन्य सहायता प्रदान की. यहां 3 और 4 मार्च को महापंचायत आयोजित की गई जिसके बाद टेंट लगाने की अनुमति दी गई है. आने वाले समय में मध्यप्रदेश में महापंचायत करने की योजना है.

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कीर्ति किसान यूनियन और (दिवंगत) कॉमरेड दातार सिंह को आंदोलन में उनके समृद्ध योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी. कीर्ति किसान यूनियन के अध्यक्ष कामरेड दातार सिंह का 21 फरवरी 2021 को अमृतसर में एक सार्वजनिक बैठक के बीच दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.

26 नवंबर 2020 को पंजाब और हरियाणा से निकले किसानों के जत्थे दिल्ली की तरफ कूच कर गए. रात में किसान तमाम मुश्किलों और हरियाणा पुलिस की चुनौतियों का सामना करते हुए सिंघु बॉर्डर पहुंचे, जहां उन्हें दिल्ली पुलिस ने रोक दिया.

‘दिल्ली चलो’ का अभियान दिल्ली की सीमा के भीतर नहीं आ पाया. तय हुआ कि दिल्ली के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन की अनुमति दी जाए, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया.

1 दिसंबर से सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ. इससे पहले दौर की बैठक के बाद एक के बाद एक 11 दौर की बातचीत सरकार और तकरीबन 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच हुई.

अलग-अलग प्रस्तावों के बावजूद, किसान तीन कानून की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग पर अड़े रहे. सरकार ने कानून को लगभग डेढ़ साल तक स्थगित करने तक प्रस्ताव भी दिया जिसे किसानों ने सर्वसम्मति से ठुकरा दिया.

16 दिसंबर को बॉर्डर बंद होने वाली दिक्कतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. सुप्रीम कोर्ट ने बॉर्डर खाली कराने को लेकर कोई आदेश देने से मना कर दिया. साथ ही केंद्र को सुझाव दिया कि कानूनों का अमल स्थगित करके एक कमेटी बनाई जा सकती है, जो किसानों की मांगों पर ध्यान दे.

जब कई दौर की बातचीत के बाद भी किसान संगठन और सरकार गतिरोध खत्म करने में विफल रहे तो 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तीन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी. साथ ही एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया, जिसे दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया. लेकिन कमेटी से जुड़े किसान यूनियन के सदस्य ने अपना नाम वापस ले लिया.

26 जनवरी की घटना के बाद जब ऐसा लग रहा था कि आंदोलन खत्म होने की कगार पर आ गया है. लेकिन टिकैत के आंसुओं ने पूरे प्रदर्शन को नई दिशा दे दी. आधी रात को सुरक्षा बलों को वापस लौटना पड़ा और आंदोलन का नया दौर शुरू हुआ.

पंचायत और महापंचायतों का दौर
आंदोलन के इस चरण में पंचायत और महापंचायतों का दौर शुरू हुआ. बॉर्डर के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में पंचायत और महापंचायत का दौर जारी है. राकेश टिकैत के अलावा कई महत्वपूर्ण किसान नेता इनकी अगुआई कर रहे हैं. किसान नेताओं ने चुनावी राज्यों में भी पंचायत करने का ऐलान किया है.

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