उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के एक गांव हारीमऊ में पिछले एक महीने में 20 लोगों की मौत से हड़कंप मचा हुआ है. गांव वालों का आरोप है कि इतनी मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग उनकी खोज खबर नहीं ले रहा.
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में अभी तक ना तो सैम्पलिंग हुई और ना सैनिटाइजर का छिड़काव हुआ है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने इन आरोपों से इनकार किया है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि गांव में कोरोना के लक्षण वाले व्यक्तियों की पहचान की जा रही है और लगातार छिड़काव आदि किया जा रहा है.
दरअसल, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी के जगदीशपुर स्थित हारीमऊ में एक महीने में 20 लोगों की मौत हुई है. जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. गांव के लोग इन मौतों को लेकर अचंभित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पता नहीं कैसे और क्यों हुआ लेकिन एक महीने में इतनी मौतें किसी ने अभी तक नहीं देखी थीं.
हारीमऊ गांव के निवासी राजेंद्र कौशल कहते हैं, ये सच्चाई है कि 17-18 मौतें हुई हैं. एक-एक घर से तीन-तीन लाशें निकली हैं. एंबुलेंस को फोन किया जाता है, आती है. वो मरीज को उठाते तक नहीं. अगर घर वाले नहीं उठाते हैं तो एंबुलेंस वापस चली जाती है. बीमार लोगों को आशा बहुएं आकर दवा देकर चली जा रही हैं.
वहीं, इसी गांव के रहने वाले शहनवाज का कहना है, किस कारण से मौत हुई है इसकी वजह नहीं पता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम आकर दवा देकर चली जाती है. ना कोई जांच किसी की हुई, ना सैनिटाइजेशन हुआ. लोग डरे हुए हैं. इस गांव के ग्राम प्रधान मोतीलाल का कहना है कि हमारे गांव में करीब 20 मौतें हुई हैं, किस वजह से हुई स्वास्थ्य विभाग की टीम आई लेकिन सही जानकारी नहीं जुटा पाई. टीम जो आई उसने न सैंपलिंग की न जांच, अस्पताल में दवा दी और चलते बने.
इस पूरे मामले पर अमेठी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) आशुतोष दुबे का कहना है कि, वैक्सीनेशन के लिए ग्रामीणों को स्वास्थ्य केंद्र पर आना पड़ेगा. वैक्सीन का एक प्रोटोकॉल है. वैक्सीन गांव में नहीं लगाई जा सकती है. पूरे गांव में छिड़काव कराया गया है. लक्षण वाले व्यक्तियों की पहचान कर दवा दी गई है. सैंपलिंग कराई गई है.
(भाषा इनपुट से)