न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, “जब तक मामला अदालत में नहीं आया, अवमाननाकर्ताओं ने हमें हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा. उन्होंने इसे पहले मीडिया को भेजा, कल शाम 7.30 बजे तक यह हमारे लिए अपलोड नहीं किया गया था, वे स्पष्ट रूप से प्रचार में विश्वास करते हैं.
कंपनी के भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि के संस्थापक रामदेव और बालकृष्ण के माफीनामे को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि हम इस मामले में उदार नहीं होना चाहते. अदालत ने यह भी कहा कि वह इस मामले में केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं है. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि माफी कागज पर है. हम इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं, हम इसे वचन का जानबूझकर उल्लंघन मानते हैं.
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, “जब तक मामला अदालत में नहीं आया, अवमाननाकर्ताओं ने हमें हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा. उन्होंने इसे पहले मीडिया को भेजा, कल शाम 7.30 बजे तक यह हमारे लिए अपलोड नहीं किया गया था, वे स्पष्ट रूप से प्रचार में विश्वास करते हैं. पतंजलि संस्थापकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह रजिस्ट्री की ओर से नहीं बोल सकते और माफी मांगी जा चुकी है.
न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा, “आप हलफनामे के साथ धोखा कर रहे हैं, इसे किसने तैयार किया, मैं आश्चर्यचकित हूं.” रोहतगी ने कहा कि एक “चूक” हुई, जिस पर अदालत ने जवाब देते हुए इसे बहुत छोटा शब्द” बताया. न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने पूछा कि क्या माफ़ी “दिल से भी” है. रोहतगी ने उत्तर में कहा कि और क्या कहने की ज़रूरत है, माई लॉर्ड्स, हम वो भी कहेंगे. वह पेशेवर वादी नहीं हैं, लोग जीवन में गलतियाँ करते हैं!” पीठ ने कहा कि हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते.