जुलाई-अगस्त के महीने तक कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को दुनियाभर में वैज्ञानिक सबसे खतरनाक मान रहे थे। भारत में आई दूसरी लहर में तबाही मचाने के बाद कोरोना का यह वैरिएंट कई अन्य देशों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहा था। डेल्टा वैरिएंट से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन कर ही रहे थे कि पिछले दिनों सामने आए दो नए वैरिएंट्स ने वैज्ञानिकों को और गंभीर संकट में डाल दिया है। बीते दिनों कोरोना के दो नए वैरिएंट्स- साउथ अफ्रेकिन वैरिएंट सी.1.2 और म्यू (बी.1.621) ने दुनिया के सामने बड़ी चुनौती पेश की है। कई रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि यह दोनों वैरिएंट्स सबसे संक्रामक माने जा रहे डेल्टा वैरिएंट्स से भी अधिक घातक हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह कोरोना के इन नए वैरिएंट्स की प्रकृति पर नजर रखे हुए है। म्यू को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि म्यू वेरिएंट में ऐसे म्यूटेशन देखे गए हैं जो शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकते हैं, साउथ अफ्रेकिन वैरिएंट भी कमोबेश ऐसी ही प्रकृति वाला बताया जा रहा है। आइए आगे की स्लाइडों में इन दोनों नए वैरिएंट्स के बारे में विस्तार से जानते हैं।