सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने चीफ़ जस्टिस एन.वी रमन्ना को पत्र लिख कर अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट हाल ही में हुए दिल्ली और हरिद्वार में दो धार्मिक आयोजनों के दौरान लोगों को ‘एक समुदाय के खिलाफ़ हिंसा’ के लिए उकसाने के मामले पर स्वत: संज्ञान ले.
वकीलों ने इस पत्र में लिखा है कि ‘पुलिस कार्रवाई के अभाव में,ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की ज़रूरत है जो कि आम होती जा रही है.
इस चिट्ठी पर दुष्यंत दवे,प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर,सलमान खुर्शीद और पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश सहित प्रतिष्ठित वकीलों के हस्ताक्षर हैं.
इसमें लिखा है कि उपरोक्त घटनाएँ और उनके दौरान दिए गए भाषण केवल हेट स्पीच नहीं हैं,बल्कि पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुला आह्वान है. इस तरह के भाषण न केवल हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर ख़तरा हैं बल्कि लाखों मुस्लिम नागरिकों के जीवन को भी ख़तरे में डालते हैं.
उत्तराखंड के हरिद्वार में 17 दिसंबर से लेकर 19 दिसंबर तक एक’धर्म संसद’का आयोजन किया गया था.
वहाँ मौजूद लोगों के’विवादित भाषणों’के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो हुए जिसमें वक्ता’धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने,2029 तक मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने,मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने और हिंदू समाज को मुसलमानों के खिलाफ़ शस्त्र उठाने का आह्वान करने जैसी बातें करते नज़र आ रहे हैं.
इस मामले में उत्तराखंड पुलिस ने एक एफ़आईआर दर्ज की है जिसमें अब तक तीन लोगों के नाम जोड़े गए हैं, हालांकि अब तक एक भी गिरफ़्तारी पुलिस ने नहीं की है.