एक गुट की कमान अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन के हाथों में है तो दूसरे गुट की कमान अशरफ की पत्नी जैनब के हाथों में है। इन दोनों के गुर्गों के बीच कभी भी गैंगवार हो सकता है।
प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अज़ीम अशरफ की हत्या के बाद लग रहा था कि अतीक का IS-227 गैंग खत्म हो गया है क्योंकि अतीक के ज्यादातर फाइनेंसर या तो सरकारी गवाह बन गए है या फिर पुलिस ने उनको जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया। लेकिन जो बात सामने आ रही है वो चौंकाने वाली है। जानकारी के मुताबिक माफिया अतीक के IS-227 गैंग में दो फाड़ हो गया है। एक की कमान अतीक की पत्नी शाईस्ता के हाथ में है तो दूसरे गैंग की कमान जैनब के हाथों में है। ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों गिरोहों के गुर्गों के बीच कभी भी गैंगवार हो सकता है।
अशरफ़ ने अपने करीबियों के साथ शुरू किया था ज़मीन का अलग धंधा
दरअसल, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद अशरफ़ ने अपने करीबियों के साथ ज़मीन का अलग धंधा शुरू कर दिया था जिसमें पुरामुफ्ती धूमन गंज के पीपल गांव, झलवा खेलगांव के आसपास अशरफ से जुड़े लोग प्लाटिंग करके कमाई का मोटा हिस्सा अशरफ को देते रहे हैं। यह सिलसिला अशरफ के जेल जाने के बाद भी बरकार रहा। अशरफ ने जेल में रहते हुए कौशाम्बी में भी कई ज़मीनों पर नज़र गड़ाई और सस्ते दामों पर खरीद कर अपने करीबियों के ज़रिए प्लाटिंग शुरू की । अब अशरफ की हत्या के बाद उसकी ज़मीन और उसके पैसों पर उसकी पत्नी ज़ैनब की नज़र है ।
अशरफ की पत्नी ज़ैनब ने अपने करीबियों को दी वसूली की जिम्मेदारी
अतीक का ज़्यादातर काम अशरफ का छोटा साला सद्दाम ही देखता था। सद्दाम के सीधे दखल के चलते अशरफ की पत्नी ज़ैनब को भी सारी प्रापर्टी के बारे में पता है । अब दोनों भाइयों की हत्या हो चुकी है और ज़ैनब को आगे भी ज़िन्दगी जीने के लिए अशरफ के पैसों और प्रापर्टी की ज़रूरत है। लिहाज़ा ज़ैनब ने आपने खानदान के कुछ लोगों को इसके हिसाब-किताब के लिए लगाया है। ज़ैनब खुद फरार है। ऐसे में उसने कुछ खास करीबियों को इस वसूली की ज़िम्मेदारी दी है।
प्रॉपर्टी के हिसाब-किताब में हो रही है आपसी खींचतान
ज़ैनब की बिरादरी के कुछ सूत्र बताते है की प्रॉपर्टी के इस हिसाब-किताब के कारण अतीक और अशरफ के करीबी और उसके गुर्गो में आपसी खींचतान भी हो रही है। कई बैठकों में अतीक और अशरफ के गुर्गे एक दूसरे को देख लेने की धमकी तक दे चुके हैं। ज़ैनब के मायके हटवा के भरोसेमन्द सूत्रों के मुताबिक कई बड़ी प्रापर्टी में अतीक और अशरफ दोनों ही साझेदार हैं। ऐसे में दोनों के करीबी लोग इसको संभाल रहे हैं।
ज़ैनब के हिसाब वाले फरमान से शाईस्ता भी नाराज़
ज़ैनब के हिसाब करने का फरमान जारी होने से शाईस्ता भी काफी नाराज है और अतीक के गुर्गे भी इस माहौल में बंटवारा करने से काफी गुस्सा है इसलिए दोनों माफिया भाइयों के गुर्गे कभी भी एक दूसरे का खून बहा सकते हैं। पुलिस को भी इनपुट मिले हैं कि प्रापर्टी को लेकर कौशाम्बी पुरामुफ्ती धूमन गंज ,चकिया ,बेली ,हटवा में कभी भी गैंगवार की आशंका से इनकार नही किया जा सकता। गद्दी बिरादरी के करीबी लोग मानते है की अतीक की पत्नी शाईस्ता परवीन और अशरफ की पत्नी ज़ैनब फातिमा के गैंग में वर्चस्व की बात करें तो शाईस्ता का पलड़ा काफी भारी है क्योंकि अतीक और अशरफ सभी के गुर्गे शाईस्ता के फरमान को ही आखरी मानते है। लेकिन इधर 4 से 5 सालो में अशरफ के करीबी सीधा सद्दाम या फिर ज़ैनब का ही हुकुम बजाते हैं। इसलिए दोनों की खेमो में आग सुलग रही है।
IS 227 गैंग में सौ से ज्यादा हार्डकोर क्रिमिनल
IS 227 गैंग में सौ से ज़्यादा हार्डकोर क्रिमिनल हैं जिसमें पुराने लोग तो अतीक और शाईस्ता के करीबी हैं, लेकिन इसी गैंग में 35 से 45 साल के गुर्गे अशरफ के बेहद खास हैं जो पहले अशरफ के साथ साये की तरह चलते थे। उनके लिए अशरफ की पत्नी ही गैंग की सरगना है। दोनों भाइयों के गुर्गों में अशरफ के गुर्गे ज़्यादा खतरनाक माने जाते हैं जो एक इशारे पर जान दे भी सकते हैं और किसी की जान पल भर में ले भी सकते हैं। उमेश पाल हत्याकांड के लिए अतीक ने अशरफ से ही शूटर्स का इंतज़ाम करने को कहा था। क्योंकि अतीक जानता था कि कुख्यात शूटरों के काम करने का तरीका अशरफ अच्छी तरह समझता है। अशरफ के पास ऐसे डेढ़ दर्जन गुर्गे हैं जिसमे आधे जेल में हैं जबकि बाकी बाहर रहकर ज़मीन के धंधे में शामिल हैं। अतीक के IS 227 में दो फाड़ होने पर एक गुट की कमान शाईस्ता के पास और दूसरे गुट की कमान ज़ैनब और सद्दाम के पास है। उन्हीं की बिरादरी के सूत्र बताते हैं कि अशरफ के करीबी लोग और गुर्गे ज़ैनब के गैंग का नाम भी दे चुके हैं और गैंग को Z/F -56 नाम दिया गया है। अशरफ के कुछ करीबियों ने सोशल मीडिया पर इस गैंग का प्रचार भी करना शुरू कर दिया था लेकिन LIU को भनक लगते ही सारे पोस्ट डीलिट कर दिए गए।