यूपी की योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करती है, वहीं इसी सरकार में कुछ ऐसे अफसर हैं जो सरकार के दावों को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण तब सामने आया, जब मेरठ की विजिलेंस टीम ने जल निगम के अधिशासी अभियंता को 13 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया. इस बाबत विलिजेंस टीम ने गाजियाबाद के कविनगर इलाके में मामला दर्ज कराया है. फिलहाल आगे की कार्यवाही की जा रही है.
जानकारी के मुताबिक, गाजियाबाद के मुरादनगर गंग नहर से दिल्ली के लिए पानी सप्लाई किए जाने वाली गंग नहर का 3 करोड़ 60 लाख रुपये का सिल्ट उठाने का ठेका जल निगम से सतीश नाम के ठेकेदार को दिया गया था. आरोप है इस काम को शुरू करने से पहले जल निगम के इंजीनियर विक्रम सिंह ने 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी. ठेकेदार ने यह रिश्वत देने के लिए 3 महीने का वक्त मांगा.
जिसके बाद एक बार फिर ठेकेदार ने काम शुरू करने का इजाजत मांगी, लेकिन दोबारा फिर पैसे की मांग की गई. इस बार 8 लाख रुपये मांगे गए, जिसपर ठेकेदार ने इतने रुपये ना होने की बात कही.
थक हार कर ठेकेदार ने 21 लाख रुपए ना दे पाने की हालत में विजिलेंस टीम में अपनी शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद विजिलेंस टीम ने ट्रैप लगाया और इंजीनियर को 13 लाख रुपये देने की बात ठेकेदार से तय करवा दी. जब ठेकेदार विक्रम सिंह के पास नकदी लेकर पहुंचे उसी वक्त विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथ विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया.
पूरे मामले की जानकारी देते हुए ठेकेदार सतीश ने बताया कि उसे सिल्ट उठाने का ठेका 3 करोड़ 60 लाख रुपये में दिया गया था. जिसका काम 3 महीने में शुरू करना था, लेकिन इस काम के लिए अधिशासी अभियंता उससे 25 लाख रुपये की मांग कर रहे थे.
हैरानी की बात यह है कि ठेकेदार से अभियंता ने पहले भी कई बार रिश्वत ली है, जिसके चलते ठेकेदार बेहद परेशान हो चुका था और उसने भ्रष्ट अधिकारी को रंगे हाथ पकड़ने का फैसला कर लिया. जिसके बाद विजिलेंस की टीम की मदद से इंजीनियर को गिरफ्तार कर लिया गया.
(भाषा इनपुट से)