पूर्वी यूपी में पहली बार PFO डिवाइस क्लोज़र से क्रॉनिक माइग्रेन का सफल इलाज
15 वर्षों से पीड़ित 50 वर्षीय महिला को मिली बड़ी राहत
पूर्वी उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है। यहां 50 वर्षीय महिला के हृदय में मौजूद 5 मिमी के पीएफओ (Patent Foramen Ovale) को डिवाइस क्लोज़र तकनीक के माध्यम से सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। महिला पिछले 15 वर्षों से गंभीर क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित थी और लगातार इलाज के बावजूद उसे कोई राहत नहीं मिल पा रही थी। यह प्रक्रिया पूर्वी यूपी में अपने प्रकार की पहली सफल प्रक्रिया मानी जा रही है।
इस जटिल प्रक्रिया (ऑपरेशन) को कार्डियोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ टीम — डॉ. वैभव श्रीवास्तव, डॉ. विमल निषाद एवं डॉ. ऋषिका पटेल — ने सफलता पूर्वक अंजाम दिया। प्रक्रिया के दौरान कार्डियक तकनीशियन रामनिवास और जयप्रकाश ने भी महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
प्रक्रिया के बाद जानकारी देते हुए डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि पीएफओ सामान्यतः हर चार में से एक व्यक्ति में पाया जाता है, लेकिन इसका माइग्रेन से संबंध बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। जब हृदय के दाएं हिस्से का रक्त इस छोटे छिद्र के माध्यम से बाएं हिस्से में पहुंचता है, तो कुछ मरीजों में असहनीय माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे चयनित मामलों में डिवाइस क्लोज़र एक प्रभावी उपचार विकल्प साबित होता है।
वहीं डॉ. विमल निषाद ने बताया कि कुछ उच्च जोखिम वाले पीएफओ मामलों में स्ट्रोक की संभावना भी बनी रहती है, इसलिए समय रहते जांच और उपचार बेहद जरूरी है।
विभागाध्यक्ष डॉ. पीयूष सक्सेना ने इसे क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित मरीजों के लिए एक नवीन और आशाजनक उपचार विधि बताते हुए कहा कि इससे उन मरीजों को राहत मिल सकेगी जो लंबे समय से दवाइयों पर निर्भर रहने के बावजूद आराम नहीं पा रहे थे।
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ वी.के.पांडेय के अनुसार यह उपलब्धि पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है और भविष्य में गंभीर माइग्रेन व पीएफओ से पीड़ित मरीजों के लिए नई उम्मीद का मार्ग प्रशस्त करेगी।