कोयला संकट का असर प्रयागराज में बारा स्थित विद्युत उत्पादन इकाई पर असर पड़ सकता है। 1980 मेगावाट बिजली पैदा करने वाली इकाई पूरे समय 100 फीसदी क्षमता पर नहीं चल रही है। हालांकि बुधवार को इकाई की 660-660 मेगावाट क्षमता की तीनों इकाईं चल रही थीं लेकिन भविष्य में उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
पीपीजीसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि बीच-बीच में 75 फीसदी क्षमता पर प्लांट चलाना पड़ रहा है। अधिकारी ने इसकी वजह नहीं बताई। चर्चा है कि प्लांट में कोयले की किल्लत हो रही है। सूत्रों के मुताबिक कोयले की रेक कम आने से बीच-बीच में उत्पादन का लोड कम करना पड़ रहा है। इकाई में बिजली उत्पादन को लेकर बिजली विभाग के अधिकारी भी मौन हैं।
मेजा स्थित एनटीपीसी के प्लांट में 660-600 मेगावाट क्षमता की दोनों इकाइयों पूरी क्षमता के साथ चल रही हैं। प्लांट में कोयला भी पर्याप्त है। अधिकारियों का दावा है कि प्लांट में 15 दिन तक कोयले की दिक्कत नहीं होगी। प्लांट में एनसीएल, बीसीसीएल व सीसीएल कोयले की आपूर्ति कर रहा है। प्लांट से पैदा होने वाली बिजली उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड को दी जा रही है।