हरिद्वार धर्मसंसद मामला: गिरफ्तार जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की जमानत याचिका पर ‘सुप्रीम’ टिप्पणी, मामले की अगली सुनवाई 17 को

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भड़काऊ भाषण मामले में गिरफ्तार जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की जमानत याचिका पर उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेह पूरे माहौल को खराब कर रहे ह

कोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों को शांति से रहना चाहिए और जीवन का आनंद लेना चाहिए। त्यागी ने दिसंबर 2021 में हरिद्वार में हुई धर्मसंसद में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले बयान दिए थे।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, इससे पहले कि वह दूसरों को जागरूक होने के लिए कहें, उन्हें पहले खुद संवेदनशील बनना होगा। वह संवेदनशील नहीं हैं। यह कुछ ऐसा है जो पूरे माहौल को खराब कर रहा है। पीठ के निशाने पर ‘धर्मसंसद’ में नफरत फैलाने वाले बयान देने वाले वक्ता थे। हालांकि पीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आठ मार्च के आदेश के खिलाफ जितेंद्र त्यागी की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने त्यागी को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने उत्तराखंड सरकार के वकील से कहा, हमें इस बात की चिंता नहीं है कि क्या हुआ। हमें मामले को समग्रता से देखना होगा। सजा व हिरासत की अवधि आदि को देखना होगा। इससे पहले सुनवाई के दौरान त्यागी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि आरोपी लगभग छह महीने से हिरासत में है। साथ ही आरोपी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी है। इस पर पीठ ने लूथरा से सवाल किया, वैसे धर्मसंसद क्या है? जवाब में लूथरा ने कहा, मैं एक आर्य समाजी हूं। मुझे नहीं पता। मैंने वीडियो देखे हैं। भगवा कपड़ों में लोग इकट्ठे हुए और उन्होंने भाषण दिया।

इस पर जस्टिस रस्तोगी ने कहा, माहौल खराब न किया जाए। पीठ ने हालांकि पाया कि त्यागी पर लगाई गई धाराओं में अधिकतम सजा तीन वर्ष है और वह पहले ही चार महीने जेल में काट चुका है। पीठ ने राज्य के डिप्टी एडवोकेट जनरल जतिंदर कुमार सेठी से कहा, अधिकतम सजा तीन साल है। आरोपी जनवरी से जेल में हैं। जांच पहले ही पूरी हो चुकी है। पीठ ने राज्य सरकार को त्यागी की याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई को 17 मई के लिए टाल दिया।

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