नई दिल्ली: सु्प्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई शर्तों पर आपत्ति जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई शर्तों पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक नया ट्रेंड बन गया है, जब विभिन्न हाई कोर्ट गैर जरूरी टिप्पणी कर रहे हैं और जमानत देने के समय गैर जरूरू शर्त लगा रहे हैं।
उच्च न्यायालय द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को जमीन पर कब्जा करने का निर्देश देने वाली जमानत की शर्त को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने आजम खान को जमानत देने के लिए प्रासंगिक अन्य शर्तों को बरकरार रखा। बता दें कि आजम खान जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं।
अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ने किया था अतिरिक्त शर्तें लगाने का आग्रह
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राजस्व अधिकारियों द्वारा 10 मई 2022 के जमानत आदेश में की गई टिप्पणियों के संदर्भ में की गई सभी कार्रवाइयों को रिकार्ड से मिटा दिया गया माना जाता है।’ राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एस वी राजू ने कोर्ट से अतिरिक्त शर्तें लगाने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान को जमानत अवधि के दौरान रामपुर जिले में प्रवेश करने पर रोक लगा देने से इंकार कर दिया। इस आग्रह पर पीठ ने कहा, हम इस दलील से प्रभावित नहीं हैं। पीठ ने कहा, ‘इन टिप्पणियों के संदर्भ में, हम संयुक्त मजिस्ट्रेट / उप जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश देते हैं कि 18 मई, 2022 के संचार में संदर्भित संपत्ति को सील करने के लिए तत्काल कदम उठाएं।’
अवकाश पीठ ने 27 मई को खान पर लगाई गई जमानत की शर्त पर रोक लगा दी थी
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 10 मई के आदेश के खिलाफ खान द्वारा दायर अपील सहित सभी याचिकाओं का निपटारा कर दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने 27 मई को खान पर लगाई गई जमानत की शर्त पर रोक लगा दी थी, जिसमें जिलाधिकारी को जौहर विश्वविद्यालय परिसर से जुड़ी जमीन पर कब्जा करने का निर्देश दिया गया था। पीठ ने कहा था कि आजम खान पर लगाई गई जमानत की शर्त असंगत थी और यह एक दीवानी अदालत की फरमान की तरह लगती है।