बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक देश को बर्बाद कर देगा। अरशद अली

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निजी बैंक मालिक मोदी जी के मित्रों मेहुल, ललित और माल्या की तरह पैसा ले कर भाग सकते हैं

अब बैंक की नौकरियों में आरक्षण बन्द हो जाएगा

प्रयागराज अल्पसंख्यक कांग्रेस शहर अध्यक्ष अरशद अली ने प्रेस कांफ्रेंस कर सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए मॉनसून सत्र में लाए जाने वाले बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक का विरोध किया है। इससे पहले शहर में स्थित इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं ने माल्यार्पण कर आज ही के दिन 1969 में उनके द्वारा किए गए बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिए उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित की।

अरशद अली ने कहा कि मोदी सरकार सरकारी बैंकों को अपने उद्योगपति मित्रों को दान में देने के लिए बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने जा रही है। जिसके पास हो जाने के बाद इन बैंकों में सरकार का शेयर 51 प्रतिशत से घट कर 26 प्रतिशत हो जाएगा। जिससे इन बैंकों में जमा आम आदमी का पैसा एक तरह से निजी उद्योगपतियों का हो जाएगा। इन सरकारी बैंकों को मोदी जी के वे मित्र खरीदेंगे जो ख़ुद सरकारी बैंकों के क़र्ज़दार हैं और अपना बकाया कर्ज़ मोदी सरकार से माफ करा लेते हैं। ऐसे उदाहरण भी दिखेंगे जहाँ मोदी जी के मित्र उसी बैंक से कर्ज़ लेकर उसी बैंक को खरीद लेंगे।

वहीं प्रदेश सचिव मुनताज सिद्दिकी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1969 में 19 जुलाई को बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर निजी बैंकों के लाभ को राष्ट्र के विकास में लगाने और उनको जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए उनमें सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत रखी थी। जिससे बैंक जनता के नियंत्रण में रहें। लेकिन अब मोदी जी इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत करने और अगले कुछ सालों में पूरी तरह खत्म कर देने के लिए क़ानून ला रहे हैं। जिससे इन बैंकों का अब जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के प्रति कोई जाबदेही नहीं रह जाएगी। उल्टे वे अब मनमाने व्याजदर पर सरकार को ही कर्ज़ देने लगेंगे।

इसी क्रम में शहर उपाध्यक्ष कमाल अली ने कहा कि बैंकों के निजी हाथों में जाते ही बैंक की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी। जिससे पिछड़े, दलित, आदिवासी और गरीब सवर्णों के बच्चे बैंकों में नौकरी नहीं कर पाएंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि अल्पसंख्यक कांग्रेस इस कानून के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन करेगी।

इस मौके पर अरशद अली, मुनताज सिद्दिकी, कमाल अली, महफूज अहमद, तालिब अहमद, मुस्तकीन कुरैशी, अरमान कुरैशी, जाहिद नेता, मुख्तार अहमद, मो अकमल, शमसाद अहमद, मो रूमी, परवेज ख़ान, परवेज आलम, आदि मौजूद थे।

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