प्रयागराज के धूमनगंज से भाजपा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का एक बयान इन दिनों चर्चा में है और वजह है उनका विवादित “संकल्प”
नेताजी ने कहा कि “2017 में जब हम आए थे तो गद्दी बिरादरी को रद्दी बनाने का संकल्प लेकर आए थे।”अब सवाल उठता है क्या किसी विधायक का “संकल्प” किसी बिरादरी को मिटाने का होना चाहिए?क्या राजनीति का मकसद विकास, रोजगार और शिक्षा से हटकर अब समाज को जातियों में बाँटना रह गया है विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह का यह बयान एक खास समुदाय के खिलाफ माना जा रहा है।
बयान सामने आते ही समाज में आक्रोश फैल गया है।ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन एआईएमआईएम महानगर अध्यक्ष अफ़सर महमूद ने इसकी घोर निंदा करते हुए कहा है कि यह भाषा न सिर्फ जातिवाद को बढ़ावा देती है, बल्कि शिक्षित और ईमानदार नागरिकों का अपमान भी करती है।गद्दी बिरादरी से शिक्षा जगत के वे लोग जो बच्चों को ज्ञान दे रहे हैं।न्यायपालिका में कार्यरत वे अधिकारी जो समाज को न्याय दिला रहे हैं।फौज और पुलिस में सेवा दे रहे वे लोग जो देश की रक्षा कर रहे हैं।और वे सैकड़ों अधिवक्ता जो जिला न्यायालय और हाईकोर्ट में न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।
प्रयागराज में गद्दी बिरादरी के कई लोग वकील, अधिकारी और यहाँ तक कि जज के पद पर भी कार्यरत हैं तो क्या यह बयान उन सबके आत्मसम्मान पर सीधा हमला नहीं है अगर नेताजी को कभी ऐसे किसी जज के न्यायालय में पेश होना पड़े तो क्या उन्हें शर्म महसूस नहीं होगी राजनीति की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए 2017 में “गद्दी को रद्दी बनाने” का संकल्प लेने वाले विधायक से जनता अब यह पूछ रही है कि क्या विकास, बेरोजगारी और अपराध जैसे असली मुद्दों का कोई स्थान नहीं क्या किसी बिरादरी को टारगेट करना ही अब राजनीति का नया एजेंडा है धूमनगंज क्षेत्र में ड्रग्स, गांजा, अपराध और बेरोजगारी चरम पर है लेकिन इन मुद्दों पर नेताजी की चुप्पी बताती है कि उनकी प्राथमिकता समाज को जोड़ना नहीं, तोड़ना है।