तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी समेत 10 राजदूतों को देश छोड़ने का आदेश दिया है. तुर्की सरकार ने इन्हें Persona non grata यानी कि अस्वीकार्य व्यक्ति घोषित कर दिया है. इन राजदूतों ने तुर्की की जेल में बंद एक एक समाज सेवक को रिहा करने की अपील की थी.
अंकारा में यू.एस. फ्रांसीसी और जर्मन सहित 10 देशों के राजदूतों ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक बयान जारी कर कहा था कि व्यवसायी उस्मान कवला को दोषी न होने के बावजूद 2017 से जेल में बंद रखा गया है. राष्ट्रपति एर्दोगन ने बयान को “अशिष्ट” बताते हुए कहा कि उन्होंने राजदूतों को Persona non grata घोषित कर दिया है.
एर्दोगन ने पश्चिमी शहर एस्किसेर में एक रैली के दौरान कहा, “मैंने अपने विदेश मंत्री को निर्देश दिया है और कहा है कि आप इन 10 राजदूतों की व्यक्तिगत गैर-गंभीर हरकतों को तुरंत संभालें.” उन्होंने कहा- ‘ये लोग तुर्की को पहचानें, समझें और जानें. जिस दिन वे तुर्की को नहीं समझे, वे जा सकते हैं.’
क्या है परसोना नॉन ग्राटा?
तुर्की ने जिन राजदूतों को बाहर किया है उनमें यू.एस., फ्रांसीसी और जर्मन के अलावा नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, नॉर्वे और न्यूजीलैंड के राजदूत भी शामिल हैं. इन सभी को मंगलवार को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया था. बता दें कि परसोना नॉन ग्राटा की घोषणा का आमतौर पर मतलब है कि उस राजनयिक को मेजबान देश ने अपने यहां रहने से प्रतिबंधित कर दिया है.
बरी होने के बाद भी जेल में कवाला
64 वर्षीय कवाला को 2020 में 2013 में देशव्यापी सरकार विरोधी प्रदर्शनों से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया गया था, लेकिन बाद में इस आदेश को पलट दिया गया और उसे 2016 में तख्तापलट के प्रयास से संबंधित आरोपों में शामिल कर दिया गया. अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों और मानवाधिकार समूहों ने बार-बार कवला के साथ कुर्द राजनेता सेलाहतिन डेमिर्तास की रिहाई का आह्वान किया है.